NRHM में आमूल-चूल बदलाव करेगी सरकार

NRHM में आमूल-चूल बदलाव करेगी सरकार

NRHM में आमूल-चूल बदलाव करेगी सरकार नई दिल्ली : संप्रग सरकार के कार्यकाल में शुरू किए गए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में भारी बदलावों की संभावनाएं हैं क्योंकि नए स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का कहना है कि यह कार्यक्रम शहरी क्षेत्र में शुरू ही नहीं हो सका है जबकि इसकी ग्रामीण शाखा एनआरएचएम विभिन्न समस्याओं के दलदल में फंसी हुई है।

भाजपा सरकार ने फिलहाल चल रही योजनाओं को प्रभावी तौर पर लागू करने के लिए विशेषज्ञों की मदद से तंत्र को सुधारने का फैसला किया है। इसमें सामान्य स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने की योजना के तहत देशभर के अस्पतालों को मुफ्त जेनरिक दवाएं भेजने की योजना को प्रभावी तरीके से लागू करना भी शामिल है।

मंत्रालय की नई योजना के तहत महिला विशेषज्ञों को विशेष दर्जा मिलेगा। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने जमीनी स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों को प्रभावी तरीके से लागू करने वाली आशा कार्यकर्ताओं की समस्याओं के निराकरण की बात भी की है।

आज जारी सरकारी बयान के अनुसार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों के साथ हुई समीक्षा बैठक में स्वास्थ्य मंत्री ने महत्वकांक्षी परियोजनाओं को पुनरूत्साहित करने के लिए बाहर से विशेषज्ञों को उसमें शामिल करने और केन्द्रीय स्वास्थ्य परिषद् (सीसीएच) के तहत राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों से बैठक करने का फैसला किया है। परिषद् की बैठक कई वर्षों से नहीं हुई है।

नरेन्द्र मोदी सरकार की ‘‘सभी के लिए स्वास्थ्य’’ के वादे को पूरा करने के लक्ष्य से तंत्र को पटरी पर लाने की बात करते हुए हर्षवर्धन ने एक बयान में कहा, ‘‘राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) विभिन्न अनदेखी समस्याओं के दलदल में फंसा हुआ है जबकि एनयूएचएम (राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन) शुरू ही नहीं हो पाया।’’

मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने 2005 में एनआरएचएम की शुरुआत की थी और लंबे समय तक इसे ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित रखने के बाद 2013 में इसे शहरी क्षेत्र में भी लांच करने का फैसला किया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को चुस्त-दुरूस्त बनाने की अपनी योजना के तहत हषवर्धन ने आशा कार्यकर्ताओं से मिलने का फैसला किया है। आशा कार्यकर्ताएं लंबे समय से एक निर्धारित वेतन और अन्य सुविधाओं की कमी को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं।

स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से आशा प्रतिनिधियों से मिलूंगा और पता करूंगा कि जमीनी स्तर पर वह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बारे में क्या सोचती हैं। मेरे पास पुष्ट सूचना है कि पूरा तंत्र एड-हॉक और अधिकारों के दोहराव की समस्या से ग्रस्त है।’’ उनका कहना है, ‘‘मेरा मानना है कि इसे सुलझाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है जमीनी स्तर पर मानव संसाधनों की समस्याओं को हल करें। जबतक सबसे निचले स्तर का कार्यकर्ता खुश नहीं है, तंत्र से लोगों को लाभ नहीं मिल सकता है।’’ (एजेंसी)

First Published: Friday, May 30, 2014, 18:48

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