Last Updated: Friday, March 14, 2014, 14:32
ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली : दिल्ली के रामलीला मैदान में तृणमूल कांग्रेस की संयुक्त रैली में ममता बनर्जी के साथ अन्ना हजारे को भी पहुंचना था लेकिन वह राजधानी में मौजूद होते हुए भी खराब सेहत का हवाला देकर कार्यक्रम स्थल पर नहीं पहुंचे। जिसके बाद तृणमूल की यह रैली फ्लाप साबित हुई और ममता बनर्जी काफी मन मसोसकर वहां से निकलीं। इस रैली में
गिने चुने लोग ही भाग लेने आए थे।
इस वाकये के दो दिन के बाद अन्ना हजारे ने शुक्रवार को कहा कि वे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) का समर्थन करते हैं, लेकिन उनकी पार्टी का नहीं। ममता की प्रशंसा करते हुए अन्ना ने कहा कि वह उनका (ममता) का सम्मान करते हैं। मेरे विचार से वह इस समय देश की सबसे बेहतर मुख्यमंत्री हैं।
वहीं, अन्ना ने रामलीला मैदान में तृणमूल के साथ संयुक्त रैली के दौरान काफी कम लोगों के शामिल होने के लिए अपने सहयोगी संतोष भारतीय को जिम्मेदार ठहराया। रामलीला मैदान रैली को ममता की राष्ट्रीय आकांक्षाओं की शुरुआत करने के एक मंच के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन यह फुसफुसा गई।
अन्ना का यह स्पष्टीकरण दिल्ली की उस रैली के बाद आया है, जिसमें ममता और उनकी पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति के फलक पर लाने का प्रयास था। हालांकि, यह रैली पूरी तरफ विफल साबित हुई और अन्ना भी इससे दूर ही रहे। अन्ना के साथ मिलकर ममता बनर्जी अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाने के प्रयास में थी, लेकिन आज का यह मंच सिर्फ तृणमूल कांग्रेस की रैली बनकर रह गया। लोगों की कम उपस्थिति से बेहद परेशान ममता ने हालांकि दावा किया कि रैली का आयोजन तृणमूल ने नहीं बल्कि अन्ना के समर्थकों ने किया था और वह बस उसमें शामिल होने आई थीं। ममता ने कहा कि यह मेरी नहीं, उनकी रैली थी। उन्होंने हमें न्यौता दिया था और मैं उनके न्यौते पर आई। अन्ना हजारे संभवत: रैली में शामिल होने के लिए कल रात महाराष्ट्र से यहां पहुंचे थे, लेकिन कई घंटे विलंब करने के बाद भी वह रैली में नहीं पहुंचे।
रैली से तुरंत पहले हजारे ने कहा था कि वह रैली में शिरकत करेंगे, लेकिन वह नहीं पहुंचे। उनके सहयोगियों ने कहा कि वह अस्वस्थ होने के कारण रैली में नहीं पहुंच पाए। गौर हो कि अन्ना ने बीते महीने ममता बनर्जी को लोकसभा चुनाव में समर्थन देने की घोषणा की थी।
रिपोर्ट के अनुसार, अन्ना कथित तौर पर इस बात से खुश नहीं थे, जिस ढंग से रैली को प्रोमोट किया गया था। सूत्रों के अनुसार, अन्ना ने यह सोचा कि इस रैली को राजनीतिक कार्यक्रम के तौर पर प्रचारित किया गया। पार्टी का प्रचार अभियान राष्ट्रीय स्तर पर आक्रामक तरीके से शुरू करने की ममता बनर्जी की आकांक्षा को रैली में कम लोगों की मौजूदगी से ज्यादा अन्ना हजारे की गैर मौजूदगी से झटका लगा।
उधर, तृणमूल कांग्रेस अन्ना हजारे से दूरी नहीं बनाना चाहती इसलिए पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के लिए आगे प्रचार करने के बारे में फैसला करने के लिए गेंद हजारे के पाले में डाल दी। पार्टी को अन्ना का यह व्यवहार रास तो नहीं आया लेकिन अभी उसने उन पर किसी तरह का आरोप लगाने से बचने का प्रयास किया है। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा था कि अगर अन्नाजी स्वस्थ रहते हैं और वह आना चाहते हैं तो हमें कोई समस्या नहीं है। ममता ने भी बाद में कहा था कि अन्ना के प्रति उनका सम्मान वैसा ही बना रहेगा।
First Published: Friday, March 14, 2014, 14:32