Last Updated: Wednesday, January 8, 2014, 18:48

कोलकाता : पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गांगुली ने अपने खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले की जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की समिति गठित करने के लिए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि उनके साथ ‘बहुत खराब और अन्यायपूर्ण’ बर्ताव किया गया।
गांगुली ने दावा किया कि उन्होंने ‘खिन्न होकर’ राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि वह लॉ इंटर्न के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की बजाय जेल जाना पसंद करेंगे क्योंकि वह उनकी छात्रा थी। लॉ इंटर्न ने गांगुली पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह इंटर्न के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे तो गांगुली ने संवाददाताओं से कहा कि मैं ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कभी कुछ नहीं करंगा जो मेरी छात्रा रही हो। मैं बल्कि जेल जाउंगा। गांगुली ने कुछ भी गलत करने से इंकार किया और आरोप लगाया कि उच्चतम न्यायालय ने उन्हें सही अवसर नहीं दिया। गांगुली ने उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की समिति द्वारा दोषारोपित किए जाने के बाद दबाव बढ़ने के मद्देनजर पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने मेरे साथ बेहद खराब और अन्यायपूर्ण बर्ताव किया। मुझे उच्चतम न्यायालय की समिति ने सही अवसर नहीं दिया। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, January 8, 2014, 18:48