Last Updated: Saturday, October 5, 2013, 00:21
नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना ने कहा कि चीन के साथ लगी सीमा पर सैन्य आधारभूत ढांचा बनाने के तहत वह लद्दाख के न्योमा में लड़ाकू विमानों का ठिकाना विकसित करने की योजना बना रही है। साथ ही वह सात एयरफील्ड का उन्नयन कर रही है ताकि पूर्वोत्तर में किसी भी समय अभियान चलाया जा सके।
वायुसेना के प्रमुख एन ए के ब्राउन ने कहा कि बल करगिल एयरफील्ड में रनवे की लंबाई बढ़ाने और उसका उन्नयन करने पर विचार कर रहा है। यह एयरफील्ड पाकिस्तानी से लगने वाली नियंत्रण रेखा से काफी करीब है।
उन्होंने 81वें वायुसेना दिवस के अवसर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि न्योमा दक्षिण पूर्व लद्दाख में सेना एवं भारतीय वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है जहां साल भर अच्छा मौसम रहता है, वायु ठिकाना विकसित करने पर करीब 2173 करोड़ रूपये की लागत आयेगी और इसे 4.5 साल में विकसित किया जायेगा।
ब्राउन ने कहा कि न्योमा एयर फील्ड विकसित करने का प्रस्ताव 2010 में उस समय बनाया गया था जब एएन 32 परिवहन विमान को वहां उतारा गया था। यह प्रस्ताव अभी वित्त मंत्रालय के पास है तथा इस पर कैबिनेट में अगले माह विचार किये जाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि लड़ाकू विमान, हेलीकाप्टर, परिवहन विमान सहित सभी तरह के वायुयानों को वहां रखा जा सकेगा और वहां से परिचालित किया जा सकेगा।
वायुसेना प्रमुख ने बताया कि यह वायु ठिकाना 13 हजार फुट की उंचाई पर स्थित होगा। इसकी उंचाई दौलत बेग ओल्डी में एडवांस्ड लेंडिंग ग्राउंड से कम होगी लेकिन यह लेह एवं थोइस से अधिक उंचाई पर होगा।
भारतीय वायुसेना ने हाल में अपने सी 130जे विशेष अभियान विमान को दौलत बेग ओल्डी में एडवांस्ड लेंडिंग ग्राउंड पर उतार कर एक तरह का रिकार्ड बना दिया। यह 16 हजार फुट की उंचाई पर स्थित है और देसपांग घाटी के समीप है जहां इस साल के शुरू में चीनी सैनिक घुसपैठ कर गये थे और वे तंबू लगाकर वहां 21 दिनों तक रहे। (एजेंसी)
First Published: Saturday, October 5, 2013, 00:21