राजनीति में कोई स्थाई शत्रु या मित्र नहीं: सुप्रीम कोर्ट

राजनीति में कोई स्थाई शत्रु या मित्र नहीं: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : दिल्ली विधान सभा में जन लोकपाल विधेयक पर अरविन्द केजरीवाल सरकार का विरोध करने के लिये कांग्रेस और भाजपा द्वारा हाथ मिलाये जाने पर टिप्पणी करते हुये उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि राजनीत में कोई भी स्थाई शत्रु या मित्र नहीं होता है।

न्यायमूर्ति आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली पीठ ने आप की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि भारत में स्थिति बदल सकती है। एक राजनीतिक दल समर्थन कर सकता है और वही विरोध भी कर सकता है। न्यायाधीशों ने दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू किये जाने को चुनौती देने वाली आप की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

न्यायालय ने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि एक राज्य में दूसरे का समर्थन करने वाला दल अन्य राज्यों में उसी का विरोध कर रहा हो। दिल्ली में ही जिस प्रत्याशी ने पीठासीन मुख्यमंत्री को हराया उसे उसी की पार्टी ने सरकार बनाने के लिये समर्थन मिला। विधान सभा निलंबित रखने की उपराज्यपाल की सिफारिश करने की परिस्थितियों पर गौर करते हुये न्यायाधीशों ने कहा कि और जब सत्तारूढ़ दल जनलोकपाल विधेयक लाया तो उसका समर्थन करने वाली कांग्रेस ने अपनी प्रतिद्वन्द्वी भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिल लिया और उसे विधान सभा में विधेयक पेश नहीं करने दिया।

न्यायाधीशों ने कहा कि आज का शत्रु कल का मित्र हो सकता है और अच्छा मित्र हो सकता है। राजनीति में शत्रुता स्थाई नहीं होती है। दिल्ली में आप सरकार के गठन के दौरान और 48 दिन के बाद उसके पतन से जुड़ी घटनाओं का जिक्र करते हुये न्यायालय ने कहा कि सभी ने एक दूसरे का समर्थन किया है। न्यायाधीशों ने कहा कि विधान सभा में मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने कांग्रेस का समर्थन किया और जब आप सरकार जनलोकपाल विधेयक लेकर आयी तो कांग्रेस ने भाजपा का समर्थन कर दिया। (एजेंसी)

First Published: Friday, March 7, 2014, 23:08

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