दुनियाभर की संसद में महिलाएं : भारत का नंबर 111वां

दुनियाभर की संसद में महिलाएं : भारत का नंबर 111वां

संयुक्त राष्ट्र : संसद में महिला प्रतिनिधियों की संख्या के आधार पर राष्ट्रों का रैंक तय करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा तैयार की गयी सूची में 189 देशों में भारत का 111वां स्थान है।

संसदों के अंतरराष्ट्रीय संगठन अंतर संसदीय संघ (आईपीयू) ने अपने वार्षिक विश्लेषण में कहा है कि दुनियाभर में अधिक संख्या में महिलाओं को संसद के लिए चुना गया है और यदि मौजूदा चलन जारी रहता है तो एक पीढ़ी से भी कम के समय में लैंगिक समानता के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करने वाली आईपीयू ने संसद में महिलाओं की संख्या के आधार पर देशों की रैंकिंग की है।

निचले सदन लोकसभा में 62 महिलाओं की मौजूदगी के साथ भारत को 111वें नंबर पर रखा गया है जो कुल 545 सांसदों का 11.4 फीसदी है। ऊपरी सदन में 245 सांसदों में 28 महिलाएं हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर जारी किए गए आईपीयू आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2013 में हुए चुनावों के परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर संसदों में महिलाओं की भागीदारी में 1.5 फीसदी का इजाफा हुआ है।

आईपीयू महासचिव एंडर्स जानसन ने कहा, ‘यह बहुत अधिक नहीं दिखता लेकिन अभी संसदों में 22 फीसदी महिलाएं हैं। यदि हम 1.5 फीसदी की इसी रफ्तार से आगे बढ़ते रहे तो एक ही पीढ़ी के अंदर या ऐसा कहें कि 20 साल के भीतर ही हमें विश्व स्तर पर संसदों में लैंगिक समानता को हासिल कर लेना चाहिए।’

जानसन ने कहा, ‘यह ऐसी बात है जिसकी हमने कभी कल्पना नहीं की थी। इस संबंध में सर्वेक्षण के दायरे में आए 189 देशों की सूची में रवांडा शीर्ष पर है जहां उसके निचले सदन में 60 फीसदी महिलाएं हैं।’ रिपोर्ट में बताया गया है कि संसद तक महिलाओं की पहुंच कई कारणों से प्रभावित होती है जिसमें संसदों तक महिलाओं को पहुंचाने में आरक्षण एक मुख्य माध्यम है।

आईपीयू ने कहा, ‘आरक्षण महत्वाकांक्षी, व्यापक होना चाहिए और उसे प्रभावकारी बनाने के लिए उसका क्रियान्वयन होना चाहिए।’ संयुक्त राष्ट्र महिला मामलों की कार्यकारी निदेशक फुमजिले मलाम्बो नागकुका ने दुनियाभर में राजनीतिक जीवन में महिलाओं द्वारा हासिल की गयी बढ़त की सराहना की और लैंगिक भेदभाव के खिलाफ संघर्ष जारी रखने की प्रतिबद्धता जतायी।

उन्होंने कहा, ‘दुनियाभर में, महिलाओं को भेदभाव, हिंसा, पार्टियों के ढांचे, गरीबी और धन की कमी के चलते संसदों से दूर रखा जाता है।’ ये आंकड़े राष्ट्रीय संसदों द्वारा एक जनवरी 2014 तक उपलब्ध करायी गयी सूचना पर आधारित हैं।

अमेरिका और कनाडा की स्थिति इस सूची में क्रमश: 83वें और 54वें नंबर पर है। हालांकि चीन में दो फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। दक्षिण एशिया में नेपाल में महिला सांसदों का प्रतिशत सर्वाधिक है लेकिन इसके बावजूद यह 30 फीसदी से नीचे है।

इस सूची में शानदार स्थान हासिल करने वाले शीर्ष दस देशों में चार अफ्रीका महाद्वीप से हैं जहां जानसन के अनुसार ‘बहुत, बहुत अधिक वृद्धि’ रिकार्ड की गयी है। करीब 20 साल पहले संसदों में महिलाओं का प्रतिशत दस से भी कम था लेकिन आज यह आंकड़ा 22.5 तक पहुंच गया है। (एजेंसी)

First Published: Saturday, March 8, 2014, 16:04

comments powered by Disqus