तमिलों की भलाई के लिए वोटिंग नहीं करने का लिया फैसला : भारत

तमिलों की भलाई के लिए वोटिंग नहीं करने का लिया फैसला : भारत

नई दिल्ली : भारत ने आज यह कहते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ लाए गए अमेरिका प्रायोजित प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहने के अपने फैसले को सही ठहराया कि श्रीलंका में तमिलों की भलाई के लिए यह निर्णय किया गया।

विदेश सचिव सुजाता सिंह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर भारत का रूख इस नजरिए से मेल खाता है कि राष्ट्रीय मेलमिलाप की प्रक्रिया को तमिल समुदाय की आकांक्षाओं के मुताबिक रफ्तार दी जानी चाहिए ताकि एक एकजुट श्रीलंका के भीतर वे समानता, न्याय, शांति एवं गरिमा के साथ रह सकें।’ सिंह ने कहा, ‘हमारा मानना है कि मतदान से दूर रहने का हमारा फैसला श्रीलंका में रह रहे तमिलों के सर्वश्रेष्ठ हित में है और इससे उनकी मदद करने की हमारी कोशिशों को सहायता मिलेगी।’

भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ लाए गए अमेरिका प्रायोजित प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहने का फैसला किया था। इस प्रस्ताव के पक्ष में 23 देशों ने मतदान किया और 2009 में लिट्टे के साथ संघर्ष के अंतिम चरण में कथित युद्ध अपराधों की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की। भारत ने 11 अन्य देशों के साथ मतदान में हिस्सा नहीं लिया था जबकि रूस, चीन और पाकिस्तान सहित 12 अन्य देशों ने प्रस्ताव का विरोध किया।

विदेश सचिव ने कहा कि भारत सरकार का फैसला तमिलनाडु और पुदुचेरी के मछुआरा समुदाय के हित में भी है। विदेश सचिव ने कहा, ‘आपने देखा होगा कि आज सुबह श्रीलंका सरकार ने सद्भावना दिखाते हुए हिरासत में लिए गए सभी भारतीय मछुआरों को रिहा करने का फैसला किया। मछुआरों के मुद्दों के समाधान की दिशा में यह पहला कदम है।’

भारत द्वारा हमेशा श्रीलंका के तमिलों के कल्याण और उनकी भलाई को ‘शीर्षतम प्राथमिकता’ दिए जाने का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि तमिलों के लिए न्याय एवं प्रगति सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को श्रीलंका सरकार के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।’ (एजेंसी)

First Published: Friday, March 28, 2014, 22:04

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