आतंकवाद से लड़ने को भारत-रूस ने संयुक्त क्षेत्रीय प्रयास का आह्वान किया

आतंकवाद से लड़ने को भारत-रूस ने संयुक्त क्षेत्रीय प्रयास का आह्वान किया

आतंकवाद से लड़ने को भारत-रूस ने संयुक्त क्षेत्रीय प्रयास का आह्वान कियामॉस्को : दक्षिण एशिया एवं विश्व में शांति को आतंकवाद से खतरे के विचार से सहमत होते हुए भारत और रूस ने क्षेत्र के देशों से आह्वान किया कि इसके खतरे को समाप्त करने के लिए संयुक्त प्रयास किए जाएं जिसमें आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकाने को नष्ट करना और उनके आर्थिक सहयोग को खत्म करना शामिल है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन के बीच 14वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘भारत और रूस मानते हैं कि अफगानिस्तान की सुरक्षा एवं स्थिरता के लिए आतंकवाद बड़ा खतरा है जो पूरे क्षेत्र एवं विश्व में शांति को बाधित करता है।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘उन्होंने आतंकवाद के क्षेत्रीय पहलुओं पर जोर दिया जिसमें संयुक्त एवं समन्वित प्रयास की आवश्यकता और क्षेत्र के देशों के बीच सहयोग पर बल दिया गया ,खासकर 2014 में अंतरराष्ट्रीय फौज के वहां से हट जाने के बाद उत्पन्न होने वाली स्थिति को लेकर। इसमें आतंकवाद के पनाहगाह को ध्वस्त करने और उनकी आर्थिक सहायता को खत्म करने की बात भी शामिल है।’’

पुतिन के साथ वार्ता के बाद सिंह ने बयान में कहा, ‘‘इस इलाके से उत्पन्न आतंकवाद, चरमपंथ और नशीले पदाथरें की तस्करी से हमारे क्षेत्र एवं विश्व की सुरक्षा एवं स्थिरता को खतरा है। हम अपना सहयोग एवं समन्वय बढ़ाने पर सहमत हुए हैं ताकि क्षेत्र में सुरक्षा और विकास को बढ़ावा दिया जा सके।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने अफगानिस्तान में अगले वर्ष शांतिपूर्ण एवं स्थायी पारगमन के साझा हित पर जोर दिया।’’ दोनों पक्ष इस बात से सहमत थे कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् द्वारा तालिबान के खिलाफ पारित प्रतिबंध आतंकवाद से लड़ने में सबसे महत्वपूर्ण कारक होंगे।

भारत और रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में सुधार की आवश्यकता जताई ताकि उभरने वाली चुनौतियों से और प्रभावी तरीके से निपटा जाए और इसमें ज्यादा प्रतिनिधित्व हो सके।

संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘वे सहमत थे कि सुरक्षा परिषद् के विस्तार में समकालीन हकीकत दिखनी चाहिए। इस संबंध में रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता की कड़ी वकालत की।’’ दोनों पक्षों ने सीरिया संकट और ईरान के परमाणु कार्यक्रम सहित कई दूसरे क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की।

संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों ने यथाशीघ्र ‘इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन सीरिया’ (जिनेवा टू) आयोजित करने पर अपना समर्थन जताया ताकि जून 2012 में जिनेवा एक की सहमति को आगे बढ़ाया जा सके जिसमें संघर्ष में शामिल सभी पक्षों को वार्ता की मेज तक लाया जा सके।’’

इसने कहा, ‘‘दोनों पक्षों का मानना था कि सीरिया संकट को बलपूर्वक नहीं सुलझाना चाहिए और इसे केवल राजनीतिक माध्यम से सुलझाया जाए।’’ भारत और रूस ने ईरान और इसके परमाणु कार्यक्रम की स्थिति पर चिंता जताई और इस स्थिति को राजनीतिक एवं कूटनीतिक माध्यम से सुलझाने के लिए अपना समर्थन जताया। (एजेंसी)

First Published: Monday, October 21, 2013, 18:46

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