कांग्रेस के लिए हारना अच्छा, पार्टी में परिवर्तन हो: मणिशंकर अय्यर

कांग्रेस के लिए हारना अच्छा, पार्टी में परिवर्तन हो: मणिशंकर अय्यर

कांग्रेस के लिए हारना अच्छा, पार्टी में परिवर्तन हो: मणिशंकर अय्यरनई दिल्ली : कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने मंगलवार को यह कहकर सनसनी फैला दी कि कुछ समय विपक्ष में बैठना पार्टी के लिए अच्छा रहेगा। साथ ही उन्होंने संगठन में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की संकल्पना के मुताबिक बदलाव की मांग की। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद उनकी यह टिप्पणी आई है।

बहरहाल उन्होंने मीडिया की इन खबरों से इंकार किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को हटाने की मांग की थी। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी में बदलाव को लेकर मीडिया में टिप्पणी के तुरंत बाद उन्होंने पीएमओ को एक स्पष्टीकरण भेजते हुए कहा कि जो टिप्पणियां उन्होंने की वे ‘स्पष्ट रूप से दर्शाती’ हैं कि जो आरोप लग रहे हैं वैसा उन्होंने नहीं कहा।

उन्होंने कहा कि मैं कहूंगा कि हारना अच्छा है। 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक पार्टी में बदलाव, पुनर्संरचना कर हम अवसर की प्रतीक्षा कर सकते हैं और ऐसा राजीव गांधी की संकल्पना से शुरू करना होगा जो पंचायत राज है। अय्यर ने कहा कि पार्टी जब भी सरकार में आई हम बदलाव करने वाले थे। फिर जो लोग चुनावों में जीत गए उन्होंने कहा कि गलत क्या, हम यही व्यवस्था बनाए रखें। उन्होंने राजवी के मशहूर भाषण का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था, ‘यह वही पार्टी है जिस पर सत्ता के दलालों ने कब्जा कर लिया जो लोगों की पीठ पर सवार हैं और जन आंदोलन को एक गुट में बदल दिया है।’ कांग्रेस ने अय्यर के बयान को उनके निजी विचार बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि यह पार्टी की राय नहीं है।

कांग्रेस प्रवक्ता राजबब्बर ने कहा कि वह वरिष्ठ नेता हैं जो ऊंचे पदों पर रहे हैं और उन्होंने इस तरह के बयान दिए हैं। यह उनके व्यक्तिगत विचार हैं और यह पार्टी का राजनीतिक विचार नहीं है। राज्यसभा सदस्य अय्यर ने कहा कि पार्टी में बदलाव किया जाना चाहिए लेकिन साथ ही कहा कि वह शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की बात नहीं कर रहे हैं। उन्होंने चार राज्यों में पार्टी की हार का जिक्र करते हुए कहा कि 32 लाख पंचायत प्रतिनिधियों में से करीब एक तिहाई कांग्रेस के लोग हैं। उन्होंने कहा कि दस लाख पार्टी कैडर को लीजिए और देश में किसी भी पार्टी को हरा दीजिए। उनसे संपर्क मत कीजिए जैसा कि हम उनसे संपर्क नहीं कर रहे हैं और इसी तरह के परिणाम आएंगे। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि जब मैं बदलाव की बात करता हूं तो आप पूछते हैं, आप जानते हैं क्या चिदंबरम (वित्त मंत्री) मनमोहन सिंह की जगह ले सकते हैं। यह एक छोटा सवाल है। मैं पार्टी में उस तरह से बदलाव की बात कर रहा हूं जैसा राजीव गांधी ने 1985 में वादा किया था।

राजीव गांधी ने उमाशंकर दीक्षित समिति का गठन किया था और काफी बाद में 1999 में सोनिया गांधी ने एके एंटनी आत्ममंथन समिति का गठन किया था। यह पूछने पर कि क्या पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए तो अय्यर ने कहा कि अंतिम परिणाम आते ही उन्होंने मीडिया के समक्ष जिम्मेदारी ले ली थी। उन्होंने सवाल किया कि आप उनसे क्या करने की उम्मीद करते हैं। संसद में दिखाएं कि काफी दुखी हैं और जो हुआ वह गलत हुआ। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, December 10, 2013, 23:00

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