श्रीलंकाई नौसेना अफसरों को ट्रेनिंग पर बिफरीं जयललिता

श्रीलंकाई नौसेना अफसरों को ट्रेनिंग पर बिफरीं जयललिता

चेन्नई : श्रीलंका के नौसेना अधिकारियों को प्रशिक्षित करने की भारत की पेशकश पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने प्रधानमंत्री से असंवेदनशील रक्षा सहयोग नीति की समीक्षा करने की मांग की और कहा कि यह राज्य के लोगों की संवेदनाओं के प्रति असम्मान है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कल लिखे पत्र में जयललिता ने कहा, ‘मैं श्रीलंका के साथ रक्षा सहयोग संबंधी असंवेदनशील नीति के खिलाफ कड़ा प्रतिरोध दर्ज कराना चाहती हूं जिसमें इस बात को पूरी तरह से नजरंदाज किया गया है कि तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।’

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री भारत के नौसेना प्रमुख एडमिरल डी के जोशी की नवंबर 29 को श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा रजपक्षे के समक्ष की गई बैचलर आफ टेक्नोलाजी में चार वर्षीय पाठ्यक्रम संबंधी पेशकश का उल्लेख कर रही थीं। तमिलनाडु के लोगों के लिए इसे स्तब्धकारी करार देते हुए जयललिता ने कहा, ‘यह तमिलनाडु की जनता की संवेदनाओं और भावनाओं के प्रति असम्मान है कि भारत सरकार श्रीलंकाई सशस्त्र बलों के साथ रक्षा सहयोग की नीति को जारी रखे हुए है।’

जयललिता ने लिखा कि तमिलनाडु में ऐसी गहरी और व्यापक जनभावना है कि युद्ध अपराध और नरसंहार के लिए श्रीलंका के शासन को जिम्मेदार ठहराये जाने की जरूरत है जो वहां गृह युद्ध के अंतिम चरण में सामने आई। ऐसा वहां तमिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी भेदभाव के कारण भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि केंद्र की प्रतिबद्धता श्रीलंकाई सरकार के साथ सक्रियता से काम करने के समान है जो न केवल तमिल अल्पसंख्यकों बल्कि गरीब भारतीय मछुआरों के भी खिलाफ है।

भारत में श्रीलंकाई रक्षाकर्मियों को प्रशिक्षण देने का विरोध करने संबंधी अपने पत्रों की याद दिलाते हुए तमिलनाडु की मुख्यमंत्री ने मनमोहन सिंह से इस नीति की समीक्षा करने और रक्षा मंत्री को प्रशिक्षण कार्यक्रम को आगे नहीं बढाने का निर्देश देने का आग्रह किया। जयललिता ने डीजल की कीमतों में वृद्धि का भी विरोध किया। (एजेंसी)

First Published: Sunday, December 1, 2013, 14:14

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