Last Updated: Monday, December 16, 2013, 13:50
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली: एक लॉ इंटर्न से यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस अशोक कुमार गांगुली पर सरकार ने सख्त रुख अपनाने का संकेत दिया है। कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने सोमवार को कहा है कि अगर जस्टिस गांगुली खुद इस्तीफा नहीं देते हैं तो सरकार इस मसले पर कार्रवाई कर सकती है।
सिब्बल ने कहा कि बेहतर तो यही होगा कि गांगुली खुद इस्तीफा दें लेकिन अगर वह इस्तीफा नहीं देते हैं तो उन्हें हटाने के और भी रास्ते हैं और सरकार इस मसले पर कदम उठाएगी।
गौर हो कि कानून की इंटर्न यौन उत्पीड़न केस सुप्रीम कोर्ट की जां
सिब्बल ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मैं थोड़ा निराश हूं क्योंकि जिस संस्था ने मामले में यह पाया कि यौन पहल की गई थी, तो उसे मामले को आगे ले जाना चाहिए था। उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय समिति ने न्यायमूर्ति गांगुली को एक महिला विधि इंटर्न के साथ ‘अशिष्ट व्यवहार’ और ‘यौन प्रवृति के आचरण’ का दोषी पाया था।
एक साल से अधिक समय पहले उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति गांगुली वर्तमान में पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं। इंटर्न ने उनपर पिछले साल दिल्ली में एक होटल के कमरे में उसका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है।
भाजपा और तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को संसद में न्यायमूर्ति गांगुली के खिलाफ आरोपों का मामला उठाया और पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से उन्हें हटाए जाने की मांग की। उन्होंने साथ ही कहा कि न्यायमूर्ति गांगुली को नैतिक आधार पर अब तक इस्तीफा दे देना चाहिए था।
2011 में सत्ता में आने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के तौर पर न्यायमूर्ति गांगुली का चयन किया था। यह मामला सामने आने पर ममता इस पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दो बार पत्र लिख चुकी हैं।
First Published: Monday, December 16, 2013, 13:20