केसीआर ने तेलंगाना पुनर्गठन अध्यादेश पर उठाया सवाल

केसीआर ने तेलंगाना पुनर्गठन अध्यादेश पर उठाया सवाल

नई दिल्ली: तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव ने गुरुवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर नए राज्य की सीमा में `फेरबदल` करने के उद्देश्य से केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा अध्यादेश लाए जाने पर विरोध जताया है। 2 जून को अस्तित्व में आने वाले तेलंगाना राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे टीआरएस प्रमुख ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि मंडलों, गांवों और बस्तियों को आंध्र प्रदेश में जोड़ने का काम केवल संसद द्वारा संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत ही किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि `कार्यपालिका संसद की शक्तियों को नहीं हड़प सकती` है।

केसीआर के नाम से मशहूर राव ने राष्ट्रपति से यह भी उल्लेख किया है कि राष्ट्रपति केवल उसी दशा में अध्यादेश जारी कर सकते हैं जब संसद का सत्र नहीं चल रहा हो और ऐसे में जब संसद का सत्र `एक सप्ताह के भीतर` शुरू होना है तो ऐसा करना अनुचित है।

अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि ऐसी परिस्थिति होनी चाहिए जब राष्ट्रपति के लिए तुरंत कदम उठाने की दरकार हो। इस मामले में अचानक से ऐसी कोई असामान्य परिस्थिति उत्पन्न नहीं हुई है। ऐसी ही परिस्थिति तब उत्पन्न हुई थी जब फरवरी 2014 में संसद में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पर चर्चा चल रही थी। उस समय राष्ट्रपति के मंतव्य में बदलाव की जरूरत नहीं समझी गई थी।

इसी मुद्दे पर टीआरएस ने गुरुवार को तेलंगाना बंद का आह्वान किया था। उन्होंने आगे जोड़ा कि पालावरम परियोजना को `फिर से तैयार किया जाना चाहिए` क्योंकि इसके मौजूदा स्वरूप में जनजातीय समुदाय के सैकड़ों गांव डूब में आ रहे हैं।

अध्यादेश में तेलंगाना के खम्मम जिले के सात मंडलों, 136 गांवों और 211 बस्तियों को आंध्र प्रदेश में शामिल करने का प्रावधान किया गया है। यह इलाका बहुद्देश्यीय पोलावरम परियोजना के डूब क्षेत्र में आ सकता है। (एजेंसी)

First Published: Thursday, May 29, 2014, 20:52

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