जानिए, मंदिर में हुए हादसे में कब, कहां और कितने श्रद्धालु मरे

जानिए, मंदिर में हुए हादसे में कब, कहां और कितने श्रद्धालु मरे

नई दिल्ली : मध्य प्रदेश में दतिया के पास रतनगढ़ देवी मंदिर में आज हुए हादसे ने इसी जगह 2006 में नवरात्र के दौरान घटी दुर्घटना की याद ताजा कर दी जिसमें करीब 50 तीर्थयात्री सिंध नदी में बह गये थे। दतिया से लगभग साठ किलोमीटर दूर रतनगढ़ स्थित देवी मंदिर में नवरात्रि पर्व के आज अंतिम दिन देवी दर्शन के लिए हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं में भगदड़ मचने से कम से कम पांच लोगों के मारे जाने और लगभग तीस लोगों के घायल होने की सूचना है।

भारी भीड़ को संभालने के लिए पुलिस ने जब हलका बल प्रयोग किया, तो भगदड़ मच गई और सभी लोग सिंध नदी के निकट स्थित पुल की ओर भागे। इसी बीच पुल की रेलिंग टूट गई और कुछ श्रद्धालु नदी में गिर गए। भगदड़ में कुछ श्रद्धालुओं के कुचले जाने की भी सूचना है।

इससे पहले, एक अक्तूबर, 2006 को भी नवरात्र के मौके पर ऐसा वीभत्स हादसा हुआ था नदी पार करके मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे करीब 50 तीर्थयात्री शिवपुरी के मनिखेड़ा बांध से पानी छोड़े जाने के कारण सिंध नदी में बह गये थे। तब भी नवरात्र के मौके पर हजारों लोग दर्शन के लिए उमड़े थे। उस समय आरोप लगे थे कि बांध से पानी छोड़ने की पूर्व सूचना नहीं दिये जाने के कारण यह हादसा हुआ था।

देश में अन्य जगहों पर भी धार्मिक मेलों के दौरान ऐसे अप्रिय हादसे सामने आते रहे हैं। इनके पीछे मुख्य वजहें अफवाहों के कारण भगदड़ मचना, अधिक भीड़ होना और अव्यवस्था की स्थिति बन जाना रही हैं।

14 जनवरी, 2011 को केरल के सबरीमाला मंदिर में मची भगदड़ में करीब 106 श्रद्धालुओं की मौत हो गयी और 100 से ज्यादा तीर्थयात्री घायल हो गये। साल 2008 में श्रावण पर्व के मौके पर हिमाचल प्रदेश के नैनादेवी मंदिर में भी भगदड़ मचने के कारण 150 से अधिक लोग मारे गये थे। जमीन खिसकने की अफवाह के बाद मची भगदड़ में मारे गये लोगों में महिलाओं और बच्चों की तादाद सबसे ज्यादा थी। घटना में 50 से ज्यादा लोग घायल हो गये।

उसी साल 30 सितंबर को जोधपुर के चामुंडा देवी मंदिर में भगदड़ मचने से सैकड़ों लोगों की मौत हो गयी और बड़ी संख्या में श्रद्धालु घायल हो गये। मेहरानगढ़ किले में स्थित मंदिर में नवरात्र के पहले दिन हजारों की संख्या में दर्शनार्थी देवी दर्शन के लिए जुटे थे।

26 जनवरी, 2005 को महाराष्ट्र के सतारा जिले का मंधेरी देवी मंदिर भी इसी तरह की एक दुर्घटना का साक्षी बना था। मंदिर परिसर में मची भगदड़ में सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौत हो गयी और 200 से ज्यादा श्रद्धालु घायल हो गये।

इन घटनाओं के अतिरिक्त इस साल फरवरी में इलाहाबाद महाकुंभ के दौरान रेलवे स्टेशन पर हुआ हादसा और 2003 में नासिक कुंभ के दौरान भगदड़ की घटनाएं भी धार्मिक आयोजनों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को संभालने में प्रशासन की नाकामी की कहानी बयां करती हैं। इलाहाबाद स्टेशन पर ट्रेन आने की सूचना से पैदा हुए संदेह के कारण यात्रियों की भगदड़ में 36 मुसाफिर मारे गये और कम से कम 40 लोग घायल हो गये थे। 2003 में नासिक कुंभ में भगदड़ मचने से 40 लोगों की जान चली गयी थी।

First Published: Sunday, October 13, 2013, 15:57

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