एक-दूसरे के प्रति समर्पण है लिव इन रिलेशन: कोर्ट

एक-दूसरे के प्रति समर्पण है लिव इन रिलेशन: कोर्ट

एक-दूसरे के प्रति समर्पण है लिव इन रिलेशन: कोर्ट नई दिल्ली : एमबीए के एक छात्र को अपनी पार्टनर को शादी का झांसा देकर उससे कई दफा बलात्कार करने का दोषी पाते हुए दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि लिव-इन रिश्ते का मतलब सिर्फ साथ रहना नहीं बल्कि यह उसके प्रति भविष्य में भी समर्पित रहना है जिससे आप प्यार करते हैं।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने 31 साल के हरि मोहन शर्मा को एलएलबी की पढ़ाई करने वाली पीड़िता से बलात्कार का दोषी पाया। अदालत 13 दिसंबर को शर्मा को दी जाने वाली सजा का ऐलान करेगी। शर्मा को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।

अदालत ने कहा कि लिव-इन रिश्ते का मतलब सिर्फ साथ रहना नहीं बल्कि इसका मतलब भविष्य में भी एक-दूसरे के प्रति समर्पित रहना है। न्यायाधीश ने कहा कि हमारे समाज में जब कोई महिला इस तरह के रिश्ते में शामिल होती है तो उसके दिमाग में सिर्फ शादी होती है। बहरहाल, जब ऐसे रिश्ते अचानक टूटते हैं तो महिला पर इसका काफी असर पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि पीड़िता से गर्भपात कराने को कहा गया था। उत्तर प्रदेश निवासी शर्मा को गिरफ्तारी के बाद मुकदमे का सामना करना पड़ा। पीड़िता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि शादी का झांसा देकर दिसंबर 2010 और जनवरी 2011 के बीच उससे कई दफा बलात्कार किया गया।

गर्भवती हो जाने और शर्मा द्वारा शादी से इंकार करने के बाद पीड़िता ने अगस्त 2011 में मामला दर्ज कराया था। शर्मा ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इंकार करते हुए दावा किया था कि उसे फंसाया गया है। (एजेंसी)

First Published: Thursday, December 5, 2013, 23:40

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