Last Updated: Wednesday, February 19, 2014, 21:29
ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली : सरकार और विपक्ष के बीच विधेयक में संशोधनों पर सहमति नहीं बन पाने के कारण राज्यसभा में बुधवार को तेलंगाना विधेयक पेश नहीं हो सका। सूत्रों ने बताया कि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कुल 32 संशोधन प्रस्ताव पेश किए हैं और पार्टी का कहना है कि इसे विधेयक में शामिल किया जाए।
सरकार ने हालांकि कहा है कि विधेयक में किसी भी प्रकार का बदलाव का मतलब यह होगा कि उसे फिर से लोकसभा में भेजना होगा और इससे और कठिनाई पैदा होगी।
चूंकि सहमति नहीं बन पाई इसलिए विधेयक को आज के लिए छोड़ दिया गया और उपसभापति पी.जे. कुरियन ने सदन की कार्यवाही 5 बजे के थोड़ी ही देर बाद स्थगित कर दी। इस बिल को लेकर सदन में हो रहे भारी हंगामे को देखते हुए राज्यसभा गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
तेलंगाना विधेयक पारित कराने की सरकार की योजना बाधित होती नजर आ रही है क्योंकि विधेयक पर राज्यसभा में बुधवार को चर्चा नहीं हो सकी। भाजपा और सरकार के बीच एक संविधान संशोधन तथा सीमांध्र के लिए उचित पैकेज की मांग को लेकर गतिरोध हो गया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कई मंत्रियों एंव राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली तथा भाजपा नेता एम. वेंकैया नायडू के बीच हुई बैठक में कोई सहमति नहीं बन सकी। राजनीतिक विश्लेषक महसूस करते हैं कि भाजपा के रुख की एक वजह सीमांध्र की चुनावी संभावनाएं हो सकती है।
लगता है कि कांग्रेस सीमांध्र के लोगों की भावनाओं को शांत करना चाहती है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार से कहा है कि वे सीमांध्र को पांच साल के लिए विशेष दर्जा दें ताकि वह अपनी विकास संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके। उच्च सदन में इस मुद्दे पर काफी हंगामा हुआ। तेदेपा सदस्य सीएम रमेश ने महासचिव शमशेर के शरीफ को धक्का लेकर उनसे कागजात छीने। दिन में कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। शाम को जब उम्मीद की जा रही थी कि कल लोकसभा द्वारा पारित आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक राज्यसभा में लिया जाएगा तो अचानक कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित हो गई। सूत्रों ने बताया कि भाजपा ने आंध्र प्रदेश के बंटवारे के लिए संविधान संशोधन लाने की आवश्यकता बताई क्योंकि पुनर्गठन विधेयक कानून व्यवस्था के अधिकार राज्यपाल को देने का प्रस्ताव करता है, जो शायद संविधान के प्रावधानों के खिलाफ हो।
इससे पहले, राज्यसभा में बहुचर्चित तेलंगाना विधेयक पर बुधवार को चर्चा शुरू नहीं हो सकी जबकि इस विधेयक के विरोध में सदन में दिन भर भारी हंगामा होता रहा और बैठक को कई बार स्थगित किया गया। हंगामे के दौरान तेलंगाना विधेयक का विरोध कर रहे तेदेपा के एक सदस्य ने महासचिव के हाथ से दस्तावेज छीनने का प्रयास किया जबकि आसन की ओर से एक केन्द्रीय मंत्री एवं लोकसभा सदस्य को उच्च सदन छोड़कर जाने को कहा गया।
तेलंगाना मुद्दे पर दोपहर 12 बजे सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद शुरू होने पर तेदेपा के दो और कांग्रेस के एक सदस्य आंध्र प्रदेश को विभाजित किए जाने का विरोध करते हुए आसन के समक्ष आ गए। हंगामे के बीच ही उपसभापति पीजे कुरियन ने आवश्यक दस्तावेज सदन पटल पर रखवाए। इसी क्रम में राज्यसभा के महासचिव शमशेर के शरीफ उपसभापति के निर्देश पर सदन में कोई घोषणा करने जा रहे थे तभी आसन के समक्ष खड़े तेदेपा के सी एम रमेश ने उनके हाथ से वह दस्तावेज छीनने का प्रयास किया जो वह पढ़ने वाले थे। इसके फौरन बाद राज्यसभा कर्मी वहां आ गए और रमेश को रोकने का प्रयास किया।
कुरियन ने रमेश के इस व्यवहार पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि सदन में इस तरह के आचरण की अनुमति नहीं दी जा सकती। हंगामा थमते नहीं देख कुरियन ने बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर दो बजे बैठक शुरू होने पर कुरियन ने रमेश के आचरण का जिक्र करते हुए इसे बेहद निंदनीय बताया और कहा कि इससे सदन की मर्यादा का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने कहा कि सदन में ऐसा आचरण नहीं किया जाना चाहिए। (एजेंसी इनपुट के साथ)
First Published: Wednesday, February 19, 2014, 17:11