Last Updated: Sunday, February 2, 2014, 12:27
नई दिल्ली : भ्रष्टाचार निरोधक निकाय लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्त इसी माह के आखिर तक हो सकती है क्योंकि सरकार ने इन पदों के लिए नाम आमंत्रित करने संबंधी विज्ञापन भाजपा की मांग के बावजूद वापस न लेने का फैसला किया है। कार्मिक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार विज्ञापन वापस नहीं लेगी और शुक्रवार 7 फरवरी तक लोकपाल के लिए आवदेन स्वीकार करेगी। 7 फरवरी नामांकन लिए जाने की अंतिम तिथि है।
सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद विज्ञापन दिए गए। आवेदन पत्रों की जांच करने के बाद नामों का चयन कर उन्हें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली चयन समिति के समक्ष रखा जाएगा। अधिकारी ने बताया, इस माह के अंत तक चयन पूरा किया जा सकता है। कार्मिक मंत्रालय ने पिछले माह समाचार पत्रों में विज्ञापन दे कर लोकपाल के अध्यक्ष एवं आठ सदस्यों के पदों के लिए 7 फरवरी तक योग्य दावेदारों से आवेदन मांगे।
इसके बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने इसकी वैधता पर सवाल उठाए और सरकार से इसे वापस लेने के लिए कहा। प्रधानमंत्री ने जेटली का आग्रह खारिज करते हुए कहा कि विज्ञापन सरकार द्वारा हाल ही में तय नियमों के अनुसार दिया गया। जेटली को लिखे पत्र में सिंह ने कहा, मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि इस बारे में जारी विज्ञापन (लोकपाल) कानून के प्रावधानों और इसके लिए तय नियमों के मुताबिक है।
प्रधानमंत्री के जवाब के बाद जेटली ने एक बार फिर उन्हें पत्र लिखा और सरकार के दावे पर विरोध जताया। उन्होंने हालिया पत्र में कहा, मैं गंभीरतापूर्वक उस रूख पर विरोध जताता हूं जिसके आधार पर आपको सलाह दी गई थी। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि उस रूख पर कृपया पुनर्विचार करें जो सरकार ने इस बारे में अपनाया है। इन पदों को कैसे भरा जाए, यह सिर्फ चयन समिति का विशेषाधिकार है न कि खोज समिति का। लोकपाल में सदस्यों के विज्ञापित पदों में से चार पद न्यायिक और शेष चार पद गैर न्यायिक हस्तियों के लिए हैं।
प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली चयन समिति में लोकसभा स्पीकर, लोकसभा में विपक्ष के नेता, भारत के प्रधान न्यायमूर्ति या उनके द्वारा नामित उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश तथा राष्ट्रपति या किसी भी सदस्य द्वारा नामित एक प्रख्यात न्यायविद शामिल हैं। राष्ट्रपति चयन समिति की सिफारिशें मिलने के बाद अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करेंगे।
लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 में केंद्र के लिए लोकपाल और राज्यों के लिए लोकायुक्तों की नियुक्ति का प्रावधान करता है ताकि सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की जा सके। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इस साल एक जनवरी को लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक को अपनी सहमति दी थी। राज्यसभा ने इस विधेयक को 17 दिसंबर 2013 को और लोकसभा ने इसके अगले दिन इसे मंजूरी दे दी थी। (एजेंसी)
First Published: Sunday, February 2, 2014, 12:09