Last Updated: Sunday, March 2, 2014, 18:26

नई दिल्ली : आगामी लोकसभा चुनावों के लिहाज से मतदान अप्रैल के दूसरे सप्ताह से मई के बीच होने की संभावना है जो सात चरणों में हो सकते हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।
चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि मतदान शुरू होने की तारीख संभवत: 7 से 10 अप्रैल के बीच हो सकती है। हालांकि उन्होंने कहा कि अभी चुनाव कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
फिलहाल सात चरणों में मतदान का विचार है जिसे कम करके छह चरणों तक सीमित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव 16 अप्रैल से 13 मई के बीच पांच चरणों में हुए थे।
2014 के लोकसभा चुनाव में 81 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा इस सप्ताह के मध्य में हो सकती है। सरकार और राजनीतिक दलों के लिए आदर्श आचार संहिता चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से प्रभाव में आ जाएगी।
हालांकि चुनाव आयोग ने गर्मी की वजह से कार्यक्रम को आगे बढ़ाने या सीमित करने के सुझाव को खारिज कर दिया है। आयोग द्वारा पिछले महीने बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में इस तरह की मांग उठाई गई थी। मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल 1 जून को समाप्त हो रहा है और नए सदन का गठन 31 मई तक किया जाना है।
लोकसभा चुनावों के साथ आंध्र प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम विधानसभाओं के चुनाव भी होंगे। आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि चुनाव कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय, राज्य सरकारों, अर्धसैनिक बलों और राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श पूरा हो चुका है।
अटकलें थीं कि चुनाव कार्यक्रम को थोड़ा लंबित किया जा सकता है ताकि केंद्र सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ अध्यादेश लाने पर विचार कर सके। हालांकि इस बारे में पुष्टि नहीं हुई है। अगर छह या सात चरणों में कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाता है तो पहली बार देश में चुनाव इतने लंबी अवधि में होते देखे जाएंगे।
सूत्रों ने कहा कि बलों के अधिक से अधिक इस्तेमाल की योजना है। पहले चरण में कुछ नक्सल प्रभावित राज्यों और कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में मतदान होने की संभावना है। संसदीय चुनावों में पहली बार प्रायोगिक आधार पर कुछ क्षेत्रों में इलेक्ट्रानिक मतदान के लिए पर्ची मिलने की व्यवस्था लागू की जाएगी।
आयोग ने राजनीतिक दलों को दिशानिर्देश जारी कर उनसे अपने चुनावी घोषणापत्रों में किए गए वायदों के खर्च का आधार स्पष्ट करने को कहा है। उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद जारी दिशानिर्देश आदर्श आचार संहिता का हिस्सा बन गए हैं।
इस बार चुनाव में करीब 81.4 करोड़ मतदाता मतदान के लिए सक्षम होंगे। पिछले चुनावों के बाद मतदाता सूचियों में 9.71 करोड़ नए मतदाता जुड़ चुके हैं। आगामी चुनावों से बड़े राज्यों के लोकसभा क्षेत्रों के उम्मीदवार अपने प्रचार पर 70 लाख रुपए तक खर्च कर सकते हैं। 2011 में यह सीमा 40 लाख रुपए तक थी। 2009 में यह 25 लाख रुपए थी।
इन्हीं लोकसभा चुनाव में पहली बार ‘इनमें से कोई नहीं’ (नोटा) का विकल्प भी मतदान के दौरान मिलेगा। कुछ महीने पहले विधानसभा चुनावों में इसे लागू किया गया था। 2014 के लोकसभा चुनावों में कुल 1.1 करोड़ चुनावकर्मी मेहनत करेंगे जिनमें से आधे सुरक्षाकर्मी होंगे जिन्हें चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से और निष्पक्ष तथा स्वतंत्र रूप से कराने के लिए तैनात किया जाएगा। (एजेंसी)
First Published: Sunday, March 2, 2014, 18:26