Last Updated: Monday, April 14, 2014, 09:36
ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की किताब `द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर` से सवालों के घेरे में खड़े प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। बारू के बाद अब पूर्व कोयला सचिव पीसी पारख ने एक किताब लिखी है जिसमें उन्होंने लिखा है कि मनमोहन सिंह जिस सरकार के मुखिया थे, उस पर उनका नियंत्रण बहुत कम था। आज पारख की इस किताब का विमोचन होना है।
अब पूर्व कोयला सचिव पीसी पारख ने एक किताब लिखी है जिसमें कोयला मंत्रालय के कामकाज को लेकर मनमोहन सिंह पर सवाल उठाए गए हैं। पारख ने अपनी किताब `क्रूजेडर आर कांस्पिरेटर ( कोलगेट एंड अदर ट्रूथ्स) में खुलासा किया है कि मनमोहन सिंह जिस सरकार के मुखिया थे, उन पर उनका बहुत कम नियंत्रण था। पारख ने दावा किया है कि 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला घोटालों से पीएम की छवि को गहरा धक्का लगा।
पारख ने अंग्रेजी में लिखी अपनी पुस्तक ‘क्रूसेडर ऑर कॉन्सपिरेटर, कोलगेट एंड अदर ट्रुथ’ (नायक या खलनायक) कोलगेट एवं अन्य सत्य: में प्रधानमंत्री सिंह के प्रति निष्पक्षता बरतते हुए लिखा है कि उनसे प्रधानमंत्री कार्यालय ने कभी किसी मामले में कोई सिफारिश नहीं की और न ही कोई दबाव डाला।
इस पुस्तक का विमोचन सोमवार को होना है। पारख ने कहा कि सीबीआई ‘दुराग्रहपूर्वक कार्रवाई’ कर रही है। पूर्व कोयला सचिव ने मंत्रियों और राजनीतिज्ञों के साथ काम करते हुए नौकरशाही के सामने पेश आने वाली समस्याओं को उजागर किया है। उन्होंने सीबीआई निदेशक सिन्हा पर तथ्यों तथा कायदे कानून को ‘ठीक ठीक समझे’ बगैर कार्रवाई करने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा, ‘‘शायद उच्चतम न्यायालय को प्रभावित करने एवं ‘पिंजरे में बंद तोता’ की छवि से उबरने की कोशिश के तहत सीबीआई ने यह कार्रवाई की।’’ अपने खिलाफ इस व्यक्तिगत हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने कहा, ‘‘हम बिंदुवार सभी आरोपों का जवाब दे सकते हैं, लेकिन चूंकि मामला उच्चतम न्यायालय की निगरानी में है, इस लिए मैं कुछ नहीं कहूंगा।’’ उन्होंने इस पुस्तक को, ‘‘खांटी सरकारी बाबू की किताब’’ करार दिया और कहा कि इसमें लेखक अपने ही महिमामंडन में लिप्त है।
जांच एजेंसी सीबीआई ने ओडिशा में तालाबीरा-2 कोयला ब्लाक हिंडाल्को को आबंटित करने में कथित षढयंत्र के आरोप में पारख और हिंडालकों के चेयरमैन कुमारमंगलम बिड़ला के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पूर्व कोयला सचिव ने किताब में सीबीआई के इस कदम पर सवाल खड़े किए हैं। पारख ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री सिंह के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया जबकि वह कोयला मंत्रालय के प्रभारी थे।
उन्होंने कहा, ‘यदि सिन्हाजी (सीबीआई निदेशक) यह मानते थे कि हिंडाल्को को किया गया आबंटन एक षडयंत्र था तो इस षडयंत्र में प्रधानमंत्री का नाम डालने का साहस उन्होंने क्यों नहीं दिखाया।’ यद्यपि पारख (68) ने लिखा है कि तालाबीरा कोयला परियोजना के लिए हिंडाल्को को लाने का निर्णय उनका था और इस मामले पर पीएमओ द्वारा उन पर कोई दबाव नहीं डाला गया था, पर उन्होंने अपनी किताब में इस मुद्दे पर 9 सवाल उठाये हैं। उन्होंने पूछा है कि एफआईआर में उनका नाम शामिल करने से पहले पीएमओ की फाइलों की छानबीन क्यों नहीं की गईं।
उन्होंने यह कहते हुए कि कोई भी सचिव किसी विषय में संबंधित मंत्री को केवल सिफारिश भेजता है और अंतिम निर्णय मंत्री को करना होता है, सवाल उठाया है कि ‘अगर सीबीआई को साजिश की बू आ रही थी तो उसने अपनी एफआईआर में प्रधानमंत्री को नामजद क्यों नहीं किया।’ लेखक ने कहा है, ‘‘प्रधानमंत्री को यह श्रेय जाता है कि पीएमओ ने कभी भी किसी मामले की सिफारिश नहीं की और न ही कोई दबाव डाला। पीएमओ ने हिंडाल्को के मामले में, जिसमें सीबीआई ने एफआईआर दायर किया है, मामले के गुण-दोष के आधार पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया था।’
(एजेंसी इनपुट के साथ)
First Published: Monday, April 14, 2014, 09:36