चोगम सम्मेलन में प्रधानमंत्री के हिस्सा लेने के आसार कम

चोगम सम्मेलन में प्रधानमंत्री के हिस्सा लेने के आसार कम

चोगम सम्मेलन में प्रधानमंत्री के हिस्सा लेने के आसार कम नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तमिलनाडु में सशक्त जनभावना के मद्देनजर राष्ट्रमंडल देशों के शासनाध्यक्षों की बैठक में शामिल होने के लिए अपनी प्रस्तावित श्रीलंका यात्रा को रद्द कर सकते हैं।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री के आवास पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की बैठक में यह राय सामने आयी कि इस समय सिंह का श्रीलंका जाना कठिन होगा।

सूत्रों ने बताया कि बैठक में इस बात का संज्ञान लिया गया कि तमिलनाडु के सभी राजनीतिक दल प्रधानमंत्री की प्रस्तावित श्रीलंका यात्रा के खिलाफ हैं और वहां की विधानसभा में राष्ट्रमंडल सम्मेलन में भारत के भाग लेने के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया है।

प्रधानमंत्री आवास पर कांग्रेस कोर ग्रूप की बैठक की अध्यक्षता पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की और उसमें वरिष्ठ मंत्री ए के एंटनी, पी चिदम्बदम, सुशील कुमार शिंदे और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने हिस्सा लिया।

सूत्रों के मुताबिक अंतिम फैसला नहीं किया गया है। सरकार एक दो दिन में औपचारिक तौर पर अपरे रुख की घोषणा करेगी।

तमिलनाडु के राजनीतिक दलों एवं अन्य संगठनों ने चोगम बैठक में किसी भी स्तर पर भारत की भागेदारी का विरोध किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि श्रीलंका सरकार ने गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन किया हे और जातीय तमिलों को शक्तियां सौंपने की कोई योजना नहीं है।

तीन केंद्रीय मंत्रियों-जी के वासन, एन नारायणसामी और जयंती नटराजन ने चोगम सम्मेलन में प्रधानमंत्री की हिस्सेदारी का खुलकर विरोध किया। हालांकि सलमान खुर्शीद की अगुवाई वाला विदेश मंत्रालय 15 नवंबर को होने वाले चोगम सम्मेलन में सिंह की उपस्थिति का यह कहते हुए पक्ष ले रहा है कि यह अहम है क्योंकि इससे भारत के हित परिलक्षित होंगे। मंत्रालय महसूस करता है कि यह देश के रणनीतिक एवं सुरक्षा हितों के लिए सर्वोपयुक्त है।

विदेश मंत्रालय के अधिकारी यह भी चाहते हैं कि प्रधानमंत्री इस अवसर का उपयोग उत्तरी प्रांत जाने के लिए भी करें जहां भारत ने ढ़ेर सारी सहायता पहुंचाई है। उत्तरी प्रांत के मुख्यमंत्री सी वी विंज्ञेश्वरण पहले ही सिंह को पत्र लिखकर उन्हें जाफना आने का न्यौता दे चुके हैं और भारतीय सहायता के प्रति आभार प्रकट कर चुके हैं।

इस विषय पर 30 अक्तूबर को कोर ग्रुप की बैठक में चर्चा हुई थी और समझा जाता है कि केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम और ए के एंटनी ने सुझाव दिया था कि प्रधानमंत्री को बैठक में हिस्सा लेने कोलंबो नहीं जाना चाहिए।

कांग्रेस राजनीतिक रूप से संवदेनशील इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक रुख अपनाने से अबतक बचती रही है। पार्टी ने कहा है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर सम्मेलन में भारत की भागीदारी के बारे में जो भी फैसला करते हैं, पार्टी उसका समर्थन करेगी।

कांग्रेस की बीफ्रिंग में पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ‘‘श्रीलंका में तमिल के हितों, तमिलनाडु में राजनीतिक दलों द्वारा इसके पक्ष एवं विपक्ष में व्यक्त मतों, देश के रणनीतिक एवं सुरक्षा हितों तथा तमिल बहुल प्रांत के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री की राय को ध्यान में रखकर फैसला किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि श्रीलंका में मानवाधिकार उल्लंघन भारत में तमिलों के लिए गंभीर विषय रहा है। (एजेंसी)

First Published: Friday, November 8, 2013, 23:03

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