PM के तौर पर देश के लिए घातक होंगे नरेंद्र मोदी: मनमोहन सिंह

PM के तौर पर देश के लिए घातक होंगे नरेंद्र मोदी: मनमोहन सिंह

PM के तौर पर देश के लिए घातक होंगे नरेंद्र मोदी: मनमोहन सिंहज़ी मीडिया ब्‍यूरो

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आगामी लोकसभा चुनाव के बाद खुद को प्रधानमंत्री पद की दौड़ से अलग करते हुए शुक्रवार को कहा कि राहुल गांधी में इस पद के लिए ‘अपार क्षमताएं’ है। साथ ही कहा नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में देश के लिए ‘विनाशकारी’ साबित होंगे।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम पर निर्णय करके ‘उचित समय’ पर उसकी घोषणा करेगी। प्रधानमंत्री के रूप में आज अपने दो कार्यकाल में तीसरे संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने अपनी सरकार की नकारात्मक छवि और उन्हें कमजोर प्रधानमंत्री बताए जाने की सोच को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है और देश को विकास की अच्छी गति प्रदान की है।

उन्होंने कहा कि मैं नहीं मानता कि मैं एक कमजोर प्रधानमंत्री हूं। ये फैसला इतिहासकार करेंगे। भाजपा और उसके सहयोगी जो चाहे कहते रहें। अगर आप मजबूत प्रधानमंत्री का अर्थ ये मानते हैं कि वह अहमदाबाद की सड़कों पर निर्दोषों के नरसंहार को देखे, अगर ये मजबूती का पैमाना है तो मैं नहीं मानता कि इस देश को इस तरह की मजबूती की जरूरत है। अपनी आरंभिक टिप्पणी में प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ महीनों में आम चुनाव के बाद मैं नए प्रधानमंत्री को कार्यभार सौंप दूंगा। मुझे उम्मीद है कि वह प्रधानमंत्री संप्रग की पसंद का होगा और हमारी पार्टी इसके लिए काम करेगी।

यूपीए-2 की छवि को धूमिल करने वाले भ्रष्टाचार से जुड़े तमाम सवालों का सामना करते हुए प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि कोयला ब्लाक आवंटन घोटाला और 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस से जुड़े विवाद संप्रग-1 के समय के हैं, लेकिन जनता ने इन पर ध्यान नहीं दिया और 2009 में गठबंधन को पुन: सत्ता सौंपी। उन्होंने कहा कि मीडिया, कैग और अदालतों ने इन आरोपों को समय समय पर उठाया। ये पिछले पांच साल के हैं। भारत की जनता ने हमें दोबारा सत्ता की जिम्मेदारी दी। उसने भ्रष्टाचार के इन आरोपों पर ध्यान नहीं दिया। यह पूछने पर कि क्या अपनी ‘मिस्टर क्लीन’ की छवि को दागी बनाने वाले भ्रष्टाचार के आरोपों पर कुछ अलग कार्रवाई कर सकते थे, सिंह ने कहा कि उन्हें कुछ ‘दुख’ हुआ। ये मैं था जिसने इस बात पर जोर दिया कि स्पेक्ट्रम आवंटन को पारदर्शी और न्यायोचित होना चाहिए। ये मैं था जिसने जोर देकर कहा कि कोयला ब्लाक आवंटन नीलामी के आधार पर होना चाहिए। इन तथ्यों को भुला दिया गया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के अपने निहित स्वार्थ हैं । कभी कभार मीडिया उनके हाथों में खेला। जब इतिहास लिखा जाएगा तो हम बेदाग साबित होंगे। यह कहने का मतलब यह नहीं है कि कुछ अनियमितताएं नहीं हुई’ लेकिन समस्या को मीडिया और कभी कभार कैग और अन्य इकाइयों ने बढ़ा चढ़ाकर पेश किया।

एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि अपनी शुरुआती टिप्पणी में उन्होंने संकेत दिया था कि वह फिर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं होने जा रहे हैं। राहुल गांधी में प्रधानमंत्री बनने की अपाार संभावनाएं हैं। एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि अगला प्रधानमंत्री संप्रग से होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी और राहुल के बीच मुकाबला बराबरी का होगा, उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी की योग्यताओं पर बात किए बिना मेरा संजीदगी से यह मानना है कि नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना देश के लिए ‘विनाशकारी’ होगा। जब एक संवाददाता ने उनसे मोदी के ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ संबंधी प्रचार अभियान के बारे में सवाल किया तो सिंह ने तमककर कहा कि मेरा पक्का विश्वास है कि नरेन्द्र मोदी जो कह रहे हैं, वह होने वाला नहीं है। इस सवाल पर कि क्या कांग्रेस में सत्ता का दोहरा केन्द्र होने से उनके कामकाज पर असर पड़ा, सिंह ने कहा कि मेरा गंभीरता से यही मानना है कि ऐसी व्यवस्था, जहां कांग्रेस अध्यक्ष और प्रधानमंत्री एक ही व्यक्ति नहीं होता, जैसा की यहां है, में बेहतरीन तरीके से काम हुआ।

मनमोहन ने कहा कि मेरे लिए यह उल्लेखनीय उपलब्धि है कि मैं प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष के बीच किसी टकराव के बिना 10 वर्ष पूरे कर सका। सोनिया गांधी का समर्थन लाजवाब रहा। वह मेरा हौंसला बढ़ाने के लिए हमेशा मेरे साथ थीं, जिससे मैं अपने काम बेहतर तरीके से कर सका। इस धारणा के बारे में पूछे जाने पर कि फैसले 10, जनपथ में लिए जाते हैं, जो सोनिया गांधी का आवास है, उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस अध्यक्ष या कांग्रेस उपाध्यक्ष का सवाल नहीं है। अगर उनकी कोई राय है तो वह हरसंभव तरीके से सरकार में नजर आनी चाहिए। यह हमारी व्यवस्था के लिए नुकसान या बुराई की बात नहीं है। इससे हमें बहुत से मामलों से निपटने में मदद मिली। मनमोहन ने कहा कि अगर पार्टी नेतृत्व कहता है कि राष्ट्रीय हित में इसकी जरूरत है और सरकार (उन) मुद्दों को स्वीकार करती है तो मुझे नहीं लगता कि उसे गलत कहना ठीक है या सुधार करने में कोई बुराई है। सिंह ने स्वीकार किया कि कई बार कांग्रेस पार्टी और सरकार के बीच मतभेद हुए और सरकार ने फैसलों पर दोबारा विचार किया।

उन्होंने दावा किया कि जब संप्रग एक की सरकार बनी तो बहुत से लोगों को इस बात में संदेह था कि कांग्रेस गठबंधन सरकार चला पाएगी। मनमोहन ने कहा कि हमने दिखा दिया कि कांग्रेस दो बार गठबंधन सरकार चला सकती है। कुछ समझौते हुए। यह समझौते मुख्य राष्ट्रीय समस्याओं से जुड़े नहीं थे, बल्कि कुछ हलके फुलके क्षेत्रों में थे। इस सवाल पर कि घोटालों और मश्किलों के बीच क्या कभी उनके मन में इस्तीफा देने का ख्याल आया, प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने कभी इस्तीफा देने के बारे में नहीं सोचा। मैंने अपने काम का लुत्फ उठाया और किसी भय अथवा पक्षपात के बिना उसे अंजाम दिया। यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस में किसी ने उनसे इस्तीफा देने को कहा, सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के तौर पर किसी कमी की वजह से किसी ने मुझे इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा। एक संवाददाता ने सवाल किया कि वित्त मंत्री के तौर पर उन्हें एक ऐसा व्यक्ति माना जाता था, जिन्होंने कोई निर्थक काम नहीं किया, लेकिन प्रधानमंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता, इसपर प्रधानमंत्री ने कहा कि देखिए, आप जो सोचते हैं, देश जो सोचता है, मैं उसके बारे में कयास नहीं लगा सकता। मैंने पूरे समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ देश की सेवा करने का प्रयास किया। एक अन्य सवाल पर कि क्या पिछले 10 वर्ष में उनमें कोई बदलाव आया है, प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं वही व्यक्ति हूं, जिसे आपने पिछले 10 वर्षों में देखा है। कोई बदलाव नहीं आया है और मैं पूरी गंभीरता के साथ कहता हूं कि मैंने पूरे समर्पण, प्रतिबद्धता और ईमानदारी के साथ देश की सेवा करने का प्रयास किया।

उन्होंने कहा कि मैंने अपने दोस्तों अथवा रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए कभी अपने पद का इस्तेमाल नहीं किया। इन आलोचनाओं को सख्ती से खारिज करते हुए कि उनका नेतृत्व ‘कमजोर’ था, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि समकालीन मीडिया या संसद में विपक्ष की अपेक्षा इतिहास उनके प्रति ज्यादा उदार रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ किया है। सिंह ने कहा कि मैं नहीं मानता कि मैं एक कमजोर प्रधानमंत्री रहा हूं। मैं ईमानदारी से यह मानता हूं कि समकालीन मीडिया या उस मामले में संसद में विपक्ष की अपेक्षा इतिहास मेरे प्रति उदार रहेगा। राजनीतिक बाध्यताओं को देखते हुए मैंने बेहतरीन किया है जो मैं कर सकता था। प्रधानमंत्री के रूप में अपने दो कार्यकाल में तीसरे संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि मैंने किया है और साथ ही साथ परिस्थितियों के अनुसार मैं जो कर सकता था। यह इतिहास तय करेगा कि मैंने क्या किया और मैंने क्या नहीं किया। प्रधानमंत्री उन अवधारणाओं के बारे में ढेर सारे सवालों का जवाब दे रहे थे कि उनका नेतृत्व कमजोर था और कई मौकों पर वह निर्णायक नहीं रहे।

सिंह ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेद्र मोदी पर भी निशाना साधा और मोदी के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान 2002 में हुए गुजरात दंगों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यदि आप अहमदाबाद की सड़कों पर निर्दोष नागरिकों के नरसंहार से प्रधानमंत्री की क्षमता को आंकते हैं तो ‘मैं इसे नहीं मानता, मैं नहीं समझता कि इस देश को कम से कम अपने प्रधानमंत्री में इस तरह की क्षमता की जरूरत है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि मीडिया या विपक्ष की तुलना में इतिहास उन पर कहीं अधिक विनम्र होगा। यही नहीं उन्होंने कहा कि गठबंधन की खींचतान और दबाव के बावजूद वह जितना बेहतर कर सकते थे, उन्होंने किया।

प्रधानमंत्री कहा कि महंगाई के कारण जनता कांग्रेस से विमुख हुई है। प्रधानमंत्री ने यहां मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि हम ईमानदारी के साथ कहना चाहेंगे कि जनता को कांग्रेस से विमुख करने के पीछे का एक कारण महंगाई है। मनमोहन सिंह ने कहा कि महंगाई वृद्धि की वजह उन्होंने बताई है और इसकी वजह यह है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कमजोर वर्गो की सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं। हमने अपने समाज के कमजोर वर्गो की सुरक्षा के लिए कई उपाय किए। 2003 से अनाज की कीमत नहीं बढ़ी है। हमने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के जरिए खेतिहर मजदूरों को ग्रामीण पारिश्रमिक सुनिश्चित किया है।

मनमोहन कहा कि महंगाई दर आश्चर्यजनक रूप से ऊंची रही है और विनिर्माण क्षेत्र में एक दशक के उनके कार्यकाल में उपयुक्त रोजगार का सृजन नहीं हुआ है। हम इस बात से चितित हैं कि हम विनिर्माण के क्षेत्र में आवश्यकता के अनुरूप रोजगार सृजन करने में सफल साबित नहीं हो पाए। यह प्रदर्शन का एक पहलू है जिसे सुधारने के लिए हम कड़ी मेहनत कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें लघु एवं मझोले उद्यमों की मदद के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है, जो कि गुणवत्तापूर्ण रोजगार का बड़ा स्रोत हो सकता है। हमारे विनिर्माण रणनीति में भविष्य के लिए इस उद्देश्य को उच्च प्राथमिकता दी गई है। आर्थिक क्षेत्र की दूसरी बड़ी समस्या महंगाई है। हम लगातार जारी महंगाई को नियंत्रित करने में सफल नहीं रहें है, जितना कि हम चाहते थे। यह मुख्य रूप से खाद्य महंगाई बढ़ने के कारण है। हमें हालांकि, यह याद रखना चाहिए कि हमारी समग्र नीतियों के तहत कमजोर वर्ग के हाथों में अधिक धन दिए गए है। खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए हमें आपूर्ति बढ़ाने और विपणन और तंत्र में सुधार करने की जरूरत है। यह सब्जी और फल जैसे उन वस्तुओं के लिए ज्यादा जरूरी है जो जल्द खराब हो जाते हैं।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार आर्थिक सुधार की प्रक्रिया जारी रखेगी। प्रधानमंत्री ने यहां एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि सुधार कोई कार्यक्रम नहीं है, यह एक प्रक्रिया है। हम सुधार की प्रक्रिया को आगे जारी रखेंगे।



मोदी का पीएम बनना देश के लिए विनाशकारी: मनमोहन

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को आज सीधे निशाने पर लेते हुए कहा कि उनका प्रधानमंत्री बनना देश के लिए ‘विनाशकारी’ साबित होगा। लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सिंह ने प्रधानमंत्री के रूप में अपने दो कार्यकालों के दौरान आज तीसरे संवाददाता सम्मेलन में ज़ी मीडिया की ओर से पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि मैं ईमानदारी से मानता हूं कि श्री नरेन्द्र मोदी जो कह रहे हैं, वह होने वाला नहीं है। उनसे सवाल किया गया था कि क्या वह मानते हैं कि भारी समर्थन की लहर के चलते मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे।

मुख्य विपक्षी दल की ओर से उन्हें ‘कमजोर’ प्रधानमंत्री बताये जाने के सवाल पर सिंह ने मजबूत नेता बताये जाने वाले मोदी पर प्रहार करते हुए कहा कि यदि आप अहमदाबाद की सड़कों पर निर्दोष नागरिकों के नरसंहार से प्रधानमंत्री की क्षमता को आंकते हैं तो ‘मैं इसे नहीं मानता।’ सिंह ने हालांकि 1984 के सिख विरोधी दंगों पर सवाल किये जाने पर कहा कि वह सार्वजनिक रूप से सरकार की ओर से सिख समुदाय से माफी मांग चुके हैं। 1984 में जो कुछ हुआ, वह नहीं होना चाहिए था। मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं को खारिज करते हुए सिंह ने दावा किया कि उन्हें पूरा विश्वास है कि अगला प्रधानमंत्री भी कांग्रेस नेतृत्व वाले संप्रग का ही होगा। आगामी लोकसभा चुनाव में खुद को प्रधानमंत्री पद की दौड़ से अलग करते हुए इसके लिए उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की पैरवी की।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने की अपार क्षमताएं हैं और मुझे उम्मीद है कि पार्टी इस बारे में उचित समय पर फैसला करेगी।

First Published: Friday, January 3, 2014, 16:17

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