मोदी ने अमेरिकी राजदूत को दिया एप्वाइंटमेंट, 13 फरवरी को मुलाकात संभव

मोदी ने अमेरिकी राजदूत को दिया एप्वाइंटमेंट, 13 फरवरी को मुलाकात संभव

मोदी ने अमेरिकी राजदूत को दिया एप्वाइंटमेंट, 13 फरवरी को मुलाकात संभवनई दिल्ली/वाशिंगटन: भारत में अमेरिका की राजदूत नैन्सी पॉवेल ने प्रधानमंत्री पद के भाजपा के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से मुलाकात की इच्छा जताई है जो गुरूवार को गांधीनगर में होने की उम्मीद है और यह नौ साल से जारी मोदी का बहिष्कार खत्म करने का अमेरिका का संकेत है।

सूत्रों ने बताया कि नैंसी वस्तुत: मोदी के साथ मुलाकात में आगामी लोकसभा चुनाव से जुड़े मुद्दों और देश के बारे में उनकी दृष्टि पर चर्चा करना चाहती हैं। सूत्रों के अनुसार मोदी ने मुलाकात का अमेरिकी राजदूत का अनुरोध स्वीकार कर लिया है और मुलाकात की तारीख और समय तय किया जा रहा है।

एक सूत्र ने बताया, ‘ज्यादा संभावना है कि बैठक गुरूवार 13 फरवरी को हो।’’ यह घटनाक्रम मोदी के प्रति अमेरिकी रूख में बड़ी तब्दीली को रेखांकित करता है। वह 2002 के गुजरात दंगों के चलते मोदी के साथ अब तक किसी तरह के संपर्क रखने से इनकार करता रहा है। अमेरिका 2005 के से अभी तक मोदी को वीजा देने से लगातार इनकार करता रहा है।

अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल के औपचारिक अनुरोध से पहले, अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने हाल ही में गुजरात सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की थी। गुजरात सरकार के इन वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात के दौरान माना जाता है कि अन्य मुद्दों के साथ ही 2002 के गुजरात दंगों के बारे में भी चर्चा हुई। प्रत्यक्षत:, इस मुलाकात ने नैंसी और मोदी के बीच बैठक के लिए मंच तैयार करने में भूमिका निभाई।

ऐसा प्रतीत होता है कि आम चुनावों की घोषणा से बस कुछ हफ्ते पहले यह फैसला ओबामा सरकार की विभिन्न शाखाओं, खास कर व्हाइट हाउस और अमेरिकी विदेश मंत्रालय के बीच गहन चर्चा के बाद किया गया है। इसमें अमेरिकी संसद के सदस्यों, कारपोरेट जगत के प्रभावशाली नेता, विशेषकर अमेरिकी-भारत व्यापार परिषद (यूआईबीसी) की खास भूमिका रही है।








पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्रालय को सलाह देने वाले प्रभावशाली समूहों की कई सार्वजनिक बैठकें आयोजित हुईं हैं। इनमें निष्कर्ष निकाला गया था कि आगामी चुनावों में मोदी की अगुवाई में भाजपा फिहलाल जीत की ओर अग्रसर है। पिछले साल प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा के उम्मीदवार बने मोदी को अकसर 2002 के गुजरात दंगों के लिए कठिन सवालों का सामना करना पड़ा है। इन दंगों में 1200 से ज्यादा लोग मारे गए थे।

वर्ष 2005 में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने गुजरात दंगों के मद्देनजर मोदी को राजनयिक वीजा देने से इनकार कर दिया था। अमेरिका ने आव्रजन एवं राष्ट्रीयता अधिनियम के तहत उनका पर्यटक एवं कारोबारी वीजा भी रद्द कर दिया। आव्रजन एवं राष्ट्रीयता अधिनियम के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन के लिए जिम्मेदार विदेशी सरकारी अधिकारियों को अमेरिका की यात्रा के लिए अयोग्य ठहराए जाने का प्रावधान है।

मोदी के साथ नैंसी की बैठक से अमेरिका यूरोपीय देशों और आस्ट्रेलिया की कतार में शामिल हो जाएगा। इन देशों ने मोदी का बहिष्कार करना खत्म कर दिया है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, February 11, 2014, 13:34

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