Last Updated: Wednesday, November 13, 2013, 23:41
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : चुनाव आयोग ने बुधवार को `खूनी पंजे` वाले बयान पर कांग्रेस की शिकायत को लेकर भाजपा के प्रधानंमत्री पद के उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को नोटिस जारी किया है। दूसरी ओर आयोग ने राहुल के आईएसआई संबंधी बयान के लिए नसीहत दी है। चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान राहुल गांधी के कुछ बयानों के ‘सुर, स्वर और सामग्री’ पर नाखुशी जाहिर करते हुए उन्हें भविष्य में अधिक सतर्क रहने को कहा। आयोग ने चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर आयोग के नोटिस पर राहुल गांधी के आठ पृष्ठों के जवाब पर असंतोष जाहिर किया। हालांकि आयोग ने कहा कि वह सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए उनके भाषणों में व्यक्त भावना और अंतर्निहित इरादों को समझता है।
उधर चुनाव आयोग ने मोदी से 16 नवंबर शाम 5 बजे तक इस बारे में जवाब देने को कहा कि छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार करते समय कथित बयान के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। चुनाव आयोग के नोटिस के अनुसार, प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि उक्त बयान देकर आपने आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन किया। नोटिस में कहा गया है, इसलिए आपको 16 नवंबर, 2013 को शाम 5 बजे तक यह बताने के लिए कहा जाता है कि आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन के लिए आपके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए। चुनाव आयोग के अनुसार अगर निर्दिष्ट समय में जवाब नहीं आता तो मान लिया जाएगा कि मोदी को कुछ नहीं कहना और ऐसे में आयोग बिना उन्हें जानकारी दिये उचित कार्रवाई करेगा। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में 7 नवंबर को मोदी के भाषण की एक सीडी आयोग ने प्राप्त की है। उन्हें नोटिस जारी किये जाने से पहले निर्वाचन अधिकारी की टिप्पणी भी प्राप्त की गई।
मोदी ने 7 नवंबर को छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के दौरान जनसभा में उपस्थित लोगों से कहा था कि आप चाहते हैं कि राज्य में किसी ‘खूनी पंजे’ का साया नहीं पड़े तो आपको कांग्रेस को दोबारा वोट नहीं देना चाहिए। गलती से भी छत्तीसगढ़ को कभी ‘जालिम पंजे’ के हाथों में नहीं जाने दें। इससे पहले चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के मुजफ्फरनगर दंगों पर दिये एक बयान पर उन्हें भी नोटिस भेजा था। राहुल ने इंदौर की एक सभा में आईएसआई द्वारा दंगा पीड़ित युवकों से संपर्क करने की बात कही थी। चुनाव आयोग ने राहुल से अप्रसन्नता जाहिर करते हुए उन्हें आगे सतर्कता बरतने की हिदायत दी है। भाजपा ने राहुल के खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत की थी। इसी तरह कांग्रेस ने भी मोदी की औपचारिक शिकायत चुनाव आयोग में 9 नवंबर को दर्ज कराई थी।
राहुल गांधी द्वारा आयोग को जवाब सौंपे जाने के चार दिन बाद चुनाव आयोग ने उनकी इस दलील को स्वीकार नहीं किया कि भाषणों में कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। आयोग ने कहा, आयोग सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए आपके भाषणों में व्यक्त की गई भावना और अंतर्निहित इरादों को समझता है, लेकिन आपके भाषणों के विवादित अंशों के सुर, स्वर और सामग्री पर आयोग को आपत्ति है। आयोग ने पांच पृष्ठ के अपने आदेश में कहा कि आयोग मानता है कि आपके भाषण का वह हिस्सा चुनावी आचार संहिता के पूरी तरह अनुरूप नहीं है। आचार संहिता के अनुसार ऐसे बयान या भाषण देने पर रोक है, जिससे विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच मतभेद पैदा होते हों। आचार संहिता के तहत असत्यापित आरोपों के आधार पर दूसरे राजनीतिक दलों की आलोचना पर भी रोक है।
आयोग ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों तथा आपके द्वारा अपने जवाब में दी गयी दलीलों को समग्रता में देखते हुए आयोग अपनी नाखुशी जताता है और आपको सलाह देता है कि चुनाव अभियान में अपनी सार्वजनिक टिप्पणियों के दौरान आप अधिक सजग रहें। आयोग ने गांधी द्वारा चुरू और इंदौर में दिए गए भाषणों में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर उन्हें 31 अक्टूबर को नोटिस जारी किया था। राहुल गांधी ने अपने भाषणों में कहा था कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ित युवकों के संपर्क में है। उन्होंने भाजपा पर नफरत की राजनीति में शामिल रहने का आरोप भी लगाया था।
राहुल गांधी ने अपने विवादित भाषणों का बचाव करते हुए ऐसे आरोपों से इंकार किया था। अपने जवाब में राहुल ने कहा, मेरा इरादा देश को वास्तविक खतरे से सजग करने का था कि सांप्रदायिक विचारधारा से पैदा हुयी सांप्रदायिक हिंसा से देश के दुश्मनों को हमारे खिलाफ काम करने का मौका मिल जाता है। इस क्रम में मेरी कोई मंशा आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने की नहीं थी और न ही ऐसा कोई उल्लंघन हुआ है। आयोग ने कहा कि राहुल गांधी ने चुरू और इंदौर में दिए गए अपने भाषणों को उचित ठहराने का प्रयास करते हुए दलील दी कि उन्होंने सिर्फ भाजपा के कार्यक्रमों और नीतियों की आलोचना की थी जो विभिन्न न्यायिक जांच आयोगों द्वारा स्थापित तथ्यों और उस पार्टी की वेबसाइट पर प्रदर्शित पार्टी के दर्शन पर आधारित थे। गांधी ने दलील दी थी कि उनके भाषणों पर पूरा जोर एकता और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने पर था तथा इसका उद्देश्य विभिन्न समुदायों के बीच नफरत या तनाव फैलाना नहीं था।
राहुल ने कहा कि उनके भाषणों में भाजपा के कार्य, पुराने रिकार्ड, नीतियों और कार्यक्रमों की आलोचना है। यह आदर्श आचार संहिता के पैराग्राफ 1(2) के तहत वैध राजनीतिक आलोचना के दायरे में है। उन्होंने कहा कि भाजपा ऐसी पार्टी है जो भारत के लोगों को धर्म के आधार पर बांटने के वैचारिक मुद्दे पर बनी है। उन्होंने आरएसएस विचारक एम एस गोलवल्कर और विनोबा भावे के बीच हुयी बातचीत का जिक्र भी किया।
कांग्रेस ने इन सवालों से परहेज किया कि चुनाव आयोग द्वारा नाखुशी जताए जाने के बाद क्या राहुल माफी मांगेंगे। वहीं भाजपा ने अपने जवाब में गोलवल्कर का नाम लिए जाने को लेकर उन पर निशाना साधा और कहा कि शर्मिंदा महसूस करने और आत्मचिंतन के बदले सत्तारूढ़ पार्टी नरेंद्र मोदी के खिलाफ जवाबी मामला दाखिल करने का प्रयास कर रही है।
भाजपा ने राहुल की टिप्पणियों के खिलाफ चुनाव आयोग से कई शिकायतें करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। भाजपा ने उनके भाषणों के सुर और स्वर पर आपत्ति जतायी थी और आरोप लगाया था कि इसका उद्देश्य विभिन्न संप्रदाय के लोगों के बीच तनाव भड़काना था। गांधी ने अपने इंदौर भाषण में दावा किया था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां मुजफ्फरनगर के कुछ दंगा पीड़ितों को आतंकवाद की ओर ललचा रही हैं। राहुल ने आरोप लगाया था, भाजपा महसूस करती है कि जब तक उत्तर प्रदेश में हिन्दुओं और मुस्लिमों के आमने सामने होने की स्थिति नहीं होती, वे अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकते। इसलिए वे आग लगाते हैं। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस है जो आग बुझाती है।
First Published: Wednesday, November 13, 2013, 23:32