Last Updated: Monday, December 2, 2013, 23:33
ज़ी मीडिया ब्यूरो अहमदाबाद/जम्मू/नई दिल्ली : अनुच्छेद 370 पर अपने बयान पर जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा आलोचना किए जाने के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ध्यान हटाने का प्रयास करते हुए कहा कि वह इस विषय पर और कश्मीरी पंडितों की पीड़ा से जुड़े अन्य मुद्दों पर तार्किक बहस चाहते हैं। उधर, संविधान के अनुच्छेद 370 पर बहस की गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की मांग को खारिज करते हुए कांग्रेस ने उन्हें इस मुद्दे पर पहले संघ परिवार के साथ विचार विमर्श करने की सलाह दी और कहा कि सत्तारूढ दल इस पर पहले से ही स्पष्ट है।
मोदी ने ट्वीटर पर लिखा है कि हमें न केवल 370 पर बल्कि जम्मू कश्मीर के सामाजिक वर्गों की पीड़ा समेत राज्य से जुड़े अन्य मुद्दों पर भी तार्किक और केंद्रित बहस की जरूरत है। इस विषय को उठाने का श्रेय लेने का प्रयास करते हुए प्रधानमंत्री पद के भाजपा के उम्मीदवार ने कहा कि इस बात से खुश हूं कि अनुच्छेद 370 पर बहस की मेरी मांग के बाद लोगों के बीच और टीवी तथा सोशल मीडिया पर इसकी व्यापक चर्चा हो रही है।
मोदी ने कल जम्मू कश्मीर में महिलाओं के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए समान अधिकारों की बात की थी जिसके बाद उमर अब्दुल्ला ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि या तो मोदी को जानकारी नहीं है या झूठ बोल रहे हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री ने उमर और उनकी बहन सारा का विवाह राज्य के बाहर होने का उदाहरण देते हुए कहा था कि महिलाओं को अन्य राज्यों की तरह जम्मू कश्मीर में समान अधिकार प्राप्त नहीं हैं। मोदी ने ट्वीट किया कि जम्मू कश्मीर में अनेक समुदायों को मिले जख्म अब भी हमारे दिलों में ताजा हैं। हमें विभाजन के बजाय संगठन के बारे में बात करनी चाहिए। कोई भी इतने सालों से कश्मीरी पंडितों की पीड़ा की अनदेखी नहीं कर सकता। हम समुदाय के लिए न्याय की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मोदी ने ट्वीट किया कि :अरण: जेटली जी ने जम्मू कश्मीर में भेदभाव के रवैये की बात रखी है। कहा है कि इसकी कानून में कोई जगह नहीं है। मोदी ने कहा कि जम्मू कश्मीर के बारे में कहा जाता है कि अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है। हमें जम्मू कश्मीर को शांति, एकता और विविधता का स्वर्ग बनाने की जरूरत है। भाजपा ने संविधान के अनुच्छेद 370 को लेकर अपने रख में नरमी दिखाई है। मोदी ने कल कहा कि इस बात पर कम से कम एक बार बहस होनी चाहिए कि धारा 370 का राज्य को फायदा पहुंचा है या नहीं।
गुजरात के मुख्यमंत्री ने कल जम्मू में एक रैली में कहा था कि उनकी पार्टी संवैधानिक प्रावधान के अनेक पहलुओं पर विचार विमर्श चाहती है।
उधर, भाजपा की राज्य इकाई ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की आलोचना करते हुए उन्हें अनुच्छेद 370 पर भाजपा के किसी भी नेता के साथ बहस करने की चुनौती दी। उमर ने इस अनुच्छेद पर बहस कराने के नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी की आलोचना की थी। राज्य भाजपा के अध्यक्ष और विधायक जुगल किशोर शर्मा ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि हम अनुच्छेद 370 पर बहस के लिए उनकी (उमर) चुनौती को स्वीकार करते हैं। किसी भी भाजपा नेता के साथ बहस के लिए वह आगे आ सकते हैं। उमर ने कल इस मुद्दे पर मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि मैं उन्हें या उनके किसी भी नेता को चुनौती देता हूं कि अनुच्छेद 370 की धाराओं पर बहस कर लें।
वहीं, संविधान के अनुच्छेद 370 पर बहस की गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की मांग को खारिज करते हुए कांग्रेस ने उन्हें इस मुद्दे पर पहले संघ परिवार के साथ विचार विमर्श करने की सलाह दी और कहा कि सत्तारूढ दल इस पर पहले से ही स्पष्ट है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा कि वह मोदी के बयानों को बहुत गंभीरता से नहीं लेते क्योंकि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार एक स्थान से दूसरे स्थान पर अपने बयानों को बदलते रहते हैं।
सिंह ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री इतिहास से अनभिज्ञ हैं और अनेक मुद्दों पर ‘असत्य’ बोल रहे हैं। सिंह ने कहा कि जहां तक मेरी पार्टी का संबंध है। इस मुद्दे पर (अनुच्छेद 370 पर) स्थिति स्पष्ट है। मोदी अगर इस पर बहस करना चाहते हैं तो उन्हें इस पर भाजपा और संघ परिवार के अंदर चर्चा करनी चाहिए। अगर मोदी, भाजपा और संघ परिवार अपने बीच इस पर चर्चा करते हैं तो हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। अगर वे सार्वजनिक चर्चा चाहते हैं तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। मोदी ने कल जम्मू में अपनी रैली में अनुच्छेद 370 का उल्लेख करते हुए कहा था कि इससे जम्मू-कश्मीर को फायदा हुआ है या नहीं, इस पर कम से कम चर्चा तो होनी चाहिए।
वहीं, अनुच्छेद 370 को ‘संविधान का अभिन्न ’ अंग बताते हुए जम्मू कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज ने कहा कि इसमें संशोधन नहंी हो सकता । इसके साथ ही उन्होंने नरेन्द्र मोदी को इस मुद्दे पर उनसे रूबरू होकर बहस करने की चुनौती दी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने भाजपा पर अपने रूख से पलटने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी ने 2004 के लोकसभा चुनाव के लिए जारी किए दृष्टिपत्र में अनुच्छेद 370 को खत्म करने का कोई जिक्र नहीं किया था। भाजपा के 2004 के दृष्टिपत्र में अनुच्छेद 370 को खत्म करने का कोई जिक्र नहीं किया गया, बल्कि इसमें इसके अस्तित्व को मान्यता दी गई। वहीं, 2013 में वे दोहरा मानदंड अपनाना चाहते हैं।
First Published: Monday, December 2, 2013, 20:01