निष्ठा से काम किया तो जनता हमसे कभी नाता नहीं तोड़ेगी: मोदी

'प्रधानमंत्री' से ज्यादा ताकतवर शब्द है 'कार्यकर्ता' : मोदी

'प्रधानमंत्री' से ज्यादा ताकतवर शब्द है 'कार्यकर्ता' : मोदीज़ी मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार भाजपा मुख्यालय पहुंचे नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री से पहले मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं। प्रधानमंत्री पांच अक्षर वाला शब्द है जबकि कार्यकर्ता चार अक्षरों वाला। लेकिन 'प्रधानमंत्री' शब्द से ज्यादा ताकतवर 'कार्यकर्ता' शब्द है। कार्यकर्ताओं की मेहनत के चलते ही मैं आज प्रधानमंत्री बना। मैं सभी कार्यकर्ताओं का अभिनंदन करता हूं।'

मोदी ने कहा कि दुनिया को भारतीय लोकतंत्र की ताकत के बारे में महसूस करना चाहिए ताकि देश को अपना उचित सम्मान और दर्जा मिले। नरेंद्र मोदी ने दक्षेस देशों के नेताओं को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित करने को ‘सही समय पर सही फैसला’ करार देते हुए कहा कि उनकी पहली बड़ी विदेश नीति की पहल ने दुनिया को भारत की ताकत के बारे में संदेश दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया के देश इस बारे में बात कर रहे हैं। उनकी इस पहल को चौतरफा प्रशंसा मिली है।

उन्होंने कहा कि लोगों को उनकी सरकार से काफी अपेक्षाएं हैं और यह उनकी सरकार का कर्तव्य है कि वह उनकी आकांक्षाओं के साथ तालमेल बिठाए। मोदी ने कहा, ‘हमने कभी देश की सीमाओं से इतर नहीं सोचा। हम बड़े देश हैं। हम बड़ी शक्ति हैं। हमें दुनिया को यह महसूस कराना चाहिए। एक बार हम इसे कर लेंगे तो दुनिया हमें उचित सम्मान और दर्जा देने से नहीं बचेगी।’

पार्टी अध्यक्ष और गृह मंत्री राजनाथ सिंह और कुछ अन्य नेताओं की मौजूदगी में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के लोकसभा चुनाव में पार्टी को जो बड़ा जनादेश मिला वह ‘उम्मीद के लिए वोट’ था। पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने पर उन्होंने कहा कि यह चुनाव 21 वीं सदी में ‘दिशा बदल देने वाला’ है जिसमें सभी पारंपरिक जातिगत, धार्मिक और अन्य राजनैतिक समीकरणों की मतदाताओं ने अनदेखी की और उन्होंने सबकुछ के उपर उम्मीद और आकांक्षाओं की राजनीति को चुना।

देश की जनता के काफी समय पहले कांग्रेस से भ्रमित होने और वैकल्पिक ‘प्रयोग’ के भी मददगार नहीं होने का दावा करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार की लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की अतिरिक्त जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, ‘भाजपा को जो स्पष्ट जनादेश :लोकसभा चुनाव में: मिला है वह संभव नहीं होता अगर जमीनी लहर नहीं होती और कश्मीर से कन्याकुमारी तक समान सोच प्रक्रिया नहीं होती।’

मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर सरकार का काम लोगों में विश्वास जगाता है कि वह समर्पित होकर उनके कल्याण के लिए काम कर रही है तो वे पार्टी के साथ अपने संबंध को कभी नहीं तोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि समाज विज्ञानी और राजनैतिक पंडितों को चुनाव और उनकी पार्टी की जीत का अध्ययन करना चाहिए जैसा टोनी ब्लेयर के नेतृत्व में लेबर पार्टी की पहली जीत और बराक ओबामा के राष्ट्रपति के तौर पर पहली बार निर्वाचन पर चर्चा हुई थी और इसपर कई पुस्तकें आईं।

उन्होंने कहा, ‘यह चुनाव राजनैतिक पंडितों, समाज विज्ञानियों के लिए महत्वपूर्ण चुनौती है। अगर राष्ट्र में इसे उचित महत्व मिलता है, अगर विश्वविद्यालय आगे आते हैं और हम उन सबका दस्तावेजीकरण कर सके और इसे दुनिया के समक्ष पेश कर सके तो यह बड़ी बात होगी।’ उन्होंने यह भी कहा कि समाज विज्ञानियों ने भारत के लोकतंत्र की ताकत के बारे में चर्चा नहीं की है।

मोदी ने कहा, ‘जिस तरीके से इसे प्रस्तुत किया जाना चाहिए न तो चुनाव आयोग और न ही राजनैतिक दलों ने इसे दुनिया के समक्ष रखा है। यह उम्मीद का चुनाव था और नतीजे इसे दर्शा रहे हैं।’ उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं की सराहना की और इस बात को याद किया कि कैसे वह खुश थे जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार भाजपा मुख्यालय आए थे। उन्होंने शौक से उन दिनों को याद किया जब उन्होंने पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर तब उसके लिए कठोर श्रम किया था।

उन्होंने कहा, ‘जब मैंने उनसे अनुरोध किया (वाजपेयी) कि वह मुख्यालय आएं तो उन्होंने मुझसे पूछा था कि उसकी क्या आवश्यकता है। मैंने उनसे कहा कि आप अब प्रधानमंत्री हैं और पार्टी कार्यकर्ता अपने बीच आपको पाकर काफी खुश होंगे। हम काफी उत्साहित थे। अब मैं इसकी कल्पना नहीं कर सकता हूं कि आप मुझे इतना सम्मानित कर रहे हैं।’ (एजेंसी इनपुट के साथ)

First Published: Sunday, June 1, 2014, 20:17

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