Last Updated: Saturday, February 15, 2014, 15:11

भोपाल : भाकपा के महासचिव एबी वर्धन ने कहा है कि अब तो यह साफ है कि इस लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस गद्दी से हट रही है और भाजपा शायद गद्दी पर आ नहीं रही है, ऐसे में पैदा होने वाली ‘राजनीतिक रिक्तता’ भरने के लिए एक नया वाम लोकतांत्रिक विकल्प तैयार हो सकता है।
वर्धन ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘अब यह साफ है कि कांग्रेस गद्दी से हट रही है और शायद भाजपा आ नहीं रही है, ऐसी स्थिति में पैदा हो रही राजनीतिक रिक्तता को भरने के लिए एक नया गठबंधन, जिसे आप ‘तीसरा मोर्चा’ कहते हैं, वाम लोकतांत्रिक विकल्प तैयार होकर सामने आ सकता है।’ उन्हें ऐसा लगता है कि इस नए गठबंधन में वे सभी पार्टियां, जो गैर कांग्रेस एवं गैर भाजपा हैं, एकजुट हो सकती हैं। यह विकल्प कांग्रेस एवं भाजपा की नीतियों से हटकर होगा और इस राजनीतिक रिक्तता को भरने के लिए सामने आएगा। इसके लिए केवल कांग्रेस और भाजपा विरोधी होना ही काफी नहीं होगा, बल्कि उन्हें एक वैकल्पिक नीति और कार्यक्रम भी पेश करना होगा।
उन्होंने कहा कि वह स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस एवं भाजपा विरोधी पार्टियों को एकजुट करना आसान नहीं है, लेकिन क्या संप्रग और राजग में शामिल पार्टियों को एक साथ लाना आसान था। वह मानते हैं कि एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर इन पार्टियों को एक साथ लाया जा सकता है।
वर्धन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि यह सही है कि गुजरात दंगों के मामलों में नरेन्द्र मोदी के खिलाफ किसी अदालत में अब तक कुछ साबित नहीं हुआ है और उन्हें इसमें ‘संदेह का लाभ’ मिल सकता है, लेकिन इससे मोदी पर इन दंगों का कलंक कम नहीं होता है। उन्होंने कहा कि मोदी का नाम ही इतना असरकारक रहा है कि जैसे ही राजग के सत्रह साल पुराने सहयोगी जनता दल (यू) को लगा कि भाजपा का नेतृत्व अब मोदी के हाथों में जाने वाला है, तो उसने उससे संबंध तोड़ लिया।
वर्धन ने कहा, ‘हमें भी लगता है कि मोदी के नेतृत्व में भाजपा का सत्ता में आना कठिन है, क्योंकि चुनाव से पहले अथवा उसके बाद भाजपा के लिए राजग की सरकार बनाने के लिए अन्य सहयोगी दलों को साथ लाना आसान नहीं होगा।’ यह पूछने पर कि मोदी ने तीसरे मोर्चे ‘थर्ड फ्रंट’ को ‘थर्ड ग्रेड’ बताया है, इस पर उनकी क्या प्रतिक्रिया है, भाकपा महासचिव ने कहा कि मोदी का ‘फर्स्ट ग्रेड’ क्या है, यह भी उन्हें साफ करना चाहिए। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की क्या स्थिति है, यह पूछने पर उन्होंने कहा कि टीएमसी कितनी सीटें वहां लाएगी, यह तो समय बताएगा, लेकिन ऐसा भी नहीं समझना चाहिए कि पूरा बंगाल टीएमसी के पीछे है।
देश के लिए वह सबसे बड़ा खतरा किसे मानते हैं, इस प्रश्न पर उन्होंने कहा कि ‘नई उदारवादी अर्थ नीति’ और ‘साम्प्रदायिकता’ इस देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि संसद में हाल में जो दृष्य जनता के सामने आया, वह राजनीतिक प्रजातंत्र के लिए ठीक नहीं है । इससे लोगों को लगने लगा है कि इससे तो ‘तानाशाही’ शासन व्यवस्था ही अधिक बेहतर हो सकती है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, February 15, 2014, 15:11