भगोड़े या फरार घोषित को अग्रिम जमानत नहीं : सुप्रीम कोर्ट

भगोड़े या फरार घोषित को अग्रिम जमानत नहीं : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि आपराधिक मामले की जांच में सहयोग नहीं करने वाले और अदालत द्वारा भगोड़ा घोषित आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है। प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की दो सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि अग्रिम जमानत देने के अदालत के अधिकार का सिर्फ अपवाद स्वरूप उन मामलों में ही इस्तेमाल होना चाहिए जहां ऐसा लगता है कि व्यक्ति को गलत फंसाया गया है।

न्यायालय के पहले के निर्णय का हवाला देते हुये न्यायाधीशों ने कहा, ‘यदि किसी को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के अनुरूप फरार या घोषित अपराधी करार दिया जा चुका है तो वह अग्रिम जमानत की राहत पाने का हकदार नहीं है।’ न्ययाधीशों ने कहा, ‘यह प्रावधान स्पष्ट करता है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के तहत प्रदत्त अधिकार असाधारण स्वरूप का है और इसका इस्तेमाल अपवाद स्वरूप मामलों में ही किया जाना चाहिए जहां ऐसा लगता हो कि व्यक्ति को झूठा फंसाया गया है या यह लगता हो कि किसी अपराध का आरोपी व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता का दुरूपयोग नहीं करेगा।’

न्यायालय ने एक व्यक्ति को कथित रूप से जहर देकर मारने की घटना के बाद से ही फरार दो अभियुक्तों को अग्रिम जमानत देने का मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का निर्णय निरस्त करते हुये यह व्यवस्था दी। न्यायाधीशों ने कहा, ‘उच्च न्यायालय यह समझने में विफल रहा कि कानून में यह निश्चित व्यवस्था है कि जब किसी आरोपी को भगोड़ा घोषित कर दिया जाये और वह जांच में सहयोग नहीं कर रहा हो तो उसे अग्रिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए।’

न्यायालय ने कहा कि इस तथ्य के मद्देनजर दोनों अभियुक्तों को संबंधित अदालत में दो सप्ताह के भीतर समर्पण करने का निर्देश दिया जाता है। ऐसा नहीं करने पर निचली अदालत को उन्हें हिरासत में लेकर जेल भेजना चाहिए। (एजेंसी)

First Published: Friday, December 6, 2013, 21:32

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