राम मंदिर पर अखिलेश सरकार की हुई किरकिरी, विपक्ष ने बोला हमला

राम मंदिर पर अखिलेश सरकार की हुई किरकिरी, विपक्ष ने बोला हमला

राम मंदिर पर अखिलेश सरकार की हुई किरकिरी, विपक्ष ने बोला हमलाज़ी मडिया ब्यूरो
नई दिल्ली/लखनऊ: अब तक अयोध्या में राम मंदिर बनाने की बात भाजपा और संघ की उठाती रही है। लेकिन समाजवादी पार्टी के अखिलेश सरकार द्वारा राममंदिर बनवाने की खबर आते की भारतीय राजनीति में भूचाल आ गया। हालांकि यह खबर फैलते ही उत्तर प्रदेश की सपा सरकार हरकत में आई और इस खबर को गलत बताया है। मामले पर सरकार की ओर से सफाई आई है कि प्रशासन की चिट्ठी में छपाई की गलती की वजह से यह भ्रम फैला। अब इसे सुधार लिया गया है। खबर यह थी कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार अयोध्या में सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर राम मंदिर बनाने की तैयारी कर रही है। इस पर पुनर्निमाण पर चर्चा के लिए फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक बैठक बुलाई गई है।

एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक कहा गया था कि यूपी सरकार ने सोमवार को बैठक बुलाई है। जिसमें चर्चा होगी कि जिस तरह संसद से कानून बनाकर गुजरात में सोमनाथ मंदिर बना उसी तरह श्रीरामजन्मभूमि पर राम मंदिर बनाया जाए। यूपी सरकार ने प्रमुख गृह सचिव, फैजाबाद के डीएम और डीजीपी समेत कई सीनियर पुलिस अफसरों को चर्चा के लिए बुलाया है। बैठक सोमवार की शाम लखनऊ में प्रमुख सचिव के दफ्तर में बुलाई गई है। यूपी सरकार के सचिव सर्वेश चंद्र मिश्र की चिट्ठी में लिखा है कि बैठक में इस बात पर चर्चा होगी कि संसद से कानून बनाकर सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर श्रीरामजन्मभूमि पर फिर से मंदिर बनाया जाए।

गृह विभाग की ‘गलती’ से हुई यूपी सरकार की किरकिरी, विपक्ष का हमला

उत्तर प्रदेश सरकार को हिलाने वाली एक घटना में गृह विभाग ने विश्व हिन्दू परिषद के प्रस्तावित संकल्प दिवस के मद्देनजर आगामी 14 अक्टूबर को बुलायी गयी बैठक के लिये अधिकारियों को जारी चिट्ठी में ‘सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर संसदीय कानून बनाकर अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण’ कराने का जिक्र कर डाला। हालांकि सरकार ने फौरन सफाई पेश कर इसे भूलवश हुई गलती करार देकर मामला संभालने की कोशिश की लेकिन इसके बावजूद अब वह विपक्ष के निशाने पर है।

गृह विभाग के सचिव सर्वेश चन्द्र मिश्र ने गत नौ अक्तूबर को पुलिस महानिदेशक तथा अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) समेत तमाम वरिष्ठ अधिकारियों को लिखे पत्र के विषय वाले स्थान पर ‘सोमनाथ मंदिर पुनर्निर्माण की ही तरह श्री राम जन्मभूमि पर भी भारत सरकार संसदीय कानून बनाकर मंदिर निर्माण के सम्बन्ध में’ लिखा है।

चिट्ठी में लिखा गया है, ‘उक्त विषय पर विचार-विमर्श के लिए प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में दिनांक 14 अक्तूबर 2013 को सायं छह बजे लाल बहादुर शास्त्री भवन के द्वितीय तल पर स्थित कमाण्ड सेंटर में एक बैठक आहूत की गयी है।’ बेहद अहम महकमे की इस चिट्ठी को लेकर बवाल पैदा होते ही सरकार ने आनन-फानन में सफाई जारी की जिसमें कहा गया कि पत्र का विषय ‘छपाई की गलती’ के कारण गड़बड़ हुआ है। आगामी 14 अक्तूबर को होने वाली अधिकारियों की बैठक दरअसल 18 अक्टूबर को अयोध्या में प्रस्तावित विश्व हिन्दू परिषद के संकल्प दिवस के मद्देनजर सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा के लिए बुलाई गई है।

हालांकि सरकार की इस सफाई के बावजूद विपक्ष को एक मुद्दा मिल गया है और उसने सरकार पर हमला बोल दिया है। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने इस घटनाक्रम को वोट बैंक के लिए कुछ भी कर गुजरने की छटपटाहट की निशानी करार दिया है। उन्होंने कहा, इस पत्र से साबित होता है कि राज्य में साम्प्रदायिकता का खेल खेल रही सपा वोट बैंक के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार है। पाठक ने कहा, अगर राज्य का गृह विभाग कहता है कि यह गलती हुई तो इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई और किसके विरुद्ध कार्रवाई हुई। जब पूरा तंत्र ही यह कह चुका है कि उपर के इशारे पर फैसले लिए जाते हैं तो यह गलती किसके इशारे पर थी और क्या संदेश देने के लिए थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने इस मामले पर कहा, लोग तमाम आरोप लगाते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार को कई लोग चलाते हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों से यह भी देखा जा रहा है कि इसे विश्व हिन्दू परिषद भी चला रही है। उन्होंने कहा, चूक एक या दो बार होती है बार-बार नहीं। जिम्मेदार सरकार अगर इतनी बार चूक कर रही है और प्रदेश का माहौल बिगड़ रहा है, जान-माल की क्षति हो रही है तो ऐसी सरकार जनता के लिए दुश्वारी बन गई है। सरकार के इरादे ठीक नहीं लगते।

First Published: Saturday, October 12, 2013, 13:38

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