जानेमाने साहित्यकार राजेंद्र यादव का निधन, आज अंतिम संस्कार

जानेमाने साहित्यकार राजेंद्र यादव का निधन, आज अंतिम संस्कार

जानेमाने साहित्यकार राजेंद्र यादव का निधन, आज अंतिम संस्कारज़ी मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली: हिंदी साहित्य में बड़ा मुकाम हासिल करनेवाले वाले 84 वर्षीय दिग्गज साहित्यकार राजेंद्र यादव का देर रात को निधन हो गया। संपादक राजेंद्र यादव को देर रात सांस लेने में तकलीफ हुई और अस्पताल ले जाते वक्त उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। राजेंद्र यादव का पार्थिव शरीर उनके मयूर विहार स्थित घर पर रखा गया है। मंगलवार दोपहर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

राजेंद्र यादव हिन्दी साहित्य का एक मजबूत स्तंभ थे। उन्हें मौजूदा दौर में हिन्दी साहित्य की कई प्रतिभाओं को सामने लाने का श्रेय जाता है। उनके निधन से हिन्दी साहित्य जगत में शोक की लहर फैल गई है।

28 अगस्त 1929 को आगरा में जन्मे राजेंद्र यादव की गिनती हिंदी के शीर्ष साहित्यकारों में होती थी। जिस हंस पत्रिका का संपादन कभी मुंशी प्रेमचंद ने किया था, उसी पत्रिका को इस दौर में भी जीवित रखने में सबसे बड़ा श्रेय राजेंद्र यादव को जाता है।

उनके परिवार में उनकी पत्नी एवं हिन्दी की वरिष्ठ कथाकार मन्नू भंडारी और उनकी पुत्री रचना हैं ।

राजेंद्र यादव ने प्रेमचंद की संपादकी में निकलने वाली `हंस` पत्रिका का 1986 पुनर्प्रकाशन शुरू करवाया और अंत तक पत्रिका के संपादक रहे। जिस दौर में हिन्दी की साहित्य-पत्रिकाएं अकाल मौत का शिकार हो रही थीं, उस दौर में भी हंस का लगातार प्रकाशन राजेंद्र यादव की वजह से ही संभव हो पाया। 1999-2001 के लिए उन्हें प्रसार भारती का बोर्ड सदस्य चुना गया था।

आगरा विश्वविद्यालय से ही 1951 में हिंदी में एमए करने वाले राजेंद्र यादव के मशहूर उपन्यास `सारा आकाश` पर बासु चटर्जी ने फिल्म भी बनाई थी। राजेद्र यादव ने सारा आकाश, उखड़े हुए लोग, एक इंच मुस्कान और कुल्टा जैसे उपन्यास लिखे हैं। उनके कई कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं।

First Published: Tuesday, October 29, 2013, 09:37

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