Last Updated: Thursday, October 17, 2013, 16:59

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने गुरुवार को कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है तथा इस पर राज्य सरकारों की सिफारिश के आधार पर ही निर्णय लिया जाएगा।
नारायणसामी ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा कि सरकार का मानना है कि कोयला पट्टियों की उपलब्धता वाले राज्यों की सरकारों कि सिफारिशों पर कोयला ब्लॉकों का आवंटन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं कुछ निजी उपक्रमों को किया गया। उन्होंने कहा कि छिपाने के लिए हमारे पास कुछ भी नहीं है।
नारायणसामी ने पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख की टिप्पणी पर कुछ नहीं कहा। पारख ने कहा था कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2005 में ओडिशा में दो कोयला ब्लॉक आवंटन का निर्णय लिया था। पारेख की इस टिप्पणी पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को प्राथमिकी दर्ज कर ली। नारायणसामी ने कहा कि मामला अदालत में है। सीबीआई इसकी जांच कर रही है।
सीबीआई ने मंगलवार को पारेख और उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला के खिलाफ दो कोयला ब्लॉकों के आवंटन में अनियमितता बरते जाने एवं आपराधिक साजिश रचने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की। इस पर पारेख ने कहा कि मैं समझ नहीं पा रहा कि सीबीआई को ऐसा क्यों लगता है कि बिड़ला और मैं साजिश का हिस्सा हैं, जबकि जिस व्यक्ति ने इस पर निर्णय लिया उसे इसमें शामिल ही नहीं किया गया है।
लोकसभा में प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को कहा था कि प्रधानमंत्री को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में हुई अनियमितताओं की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Thursday, October 17, 2013, 16:59