Last Updated: Saturday, March 8, 2014, 15:44
नई दिल्ली : आगामी लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। कौन पार्टी किस राज्य में कितनी महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारेगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन भारत में महिलाओं की स्थिति और नीति नियामक संस्थाओं में उनके प्रतिनिधित्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश में कुल 4896 सांसदों और विधायकों में महिला प्रतिनिधियों की संख्या मात्र 418 है जो केवल नौ फीसदी है।
भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, सांसदों की श्रेणी में वर्तमान 15वीं लोकसभा के 543 सदस्यों में 61 रिपीट 61 महिला सदस्य (11.4 फीसदी) और राज्यसभा में कुल 245 सदस्यों में 28 महिलाएं हैं जो 11.4 फीसदी का ही आंकड़ा है।
राज्य विधानसभाओं के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पश्चिम बंगाल में 294 विधायकों में 34 महिलाएं, बिहार में 243 विधायकों में से 34 महिलाएं और आंध्र प्रदेश में 294 विधायकों में से 34 महिला विधायक हैं। हालांकि इन राज्यों में महिला प्रतिनिधियों का यह आंकड़ा सर्वाधिक है। इसके बाद उत्तर प्रदेश और राजस्थान का स्थान आता है जहां क्रमश: 403 विधायकों में से 32 महिलाएं और 200 विधायकों में से 28 महिलाएं हैं।
इस प्रतिनिधित्व को यदि प्रतिशत में नापा जाए तो राज्य विधानसभाओं में सबसे अधिक महिलाओं का प्रतिनिधित्व बिहार विधानसभा में हैं जहां 243 विधायकों में से 34 यानी 14 फीसदी महिलाएं हैं। इसके बाद राजस्थान में यह प्रतिशत 14 है। जम्मू कश्मीर, मणिपुर, त्रिपुरा और मेघालय उन राज्यों की श्रेणियों में आते हैं जहां महिला प्रतिनिधियों की सबसे कम संख्या है।
84 सदस्यीय जम्मू कश्मीर विधानसभा में 97 फीसदी सीटों पर पुरूषों का कब्जा है और वहां मात्र तीन महिला विधायक हैं। इसी प्रकार 60 सदस्यीय त्रिपुरा, मणिपुर और मेघालय विधानसभा सभाओं में महिला विधायकों का प्रतिशत क्रमश: पांच, पांच और तीन फीसदी है।
पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड और मिजोरम विधानसभाओं में महिलाओं की संख्या शून्य है और यही हाल केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी का है जहां 30 की 30 सीटों पर पुरूषों का कब्जा है और महिलाओं की भागीदारी शून्य है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, March 8, 2014, 15:44