चुनाव सर्वे पर भाजपा अपने रूख से पलट गई है : सिब्बल

चुनाव सर्वे पर भाजपा अपने रूख से पलट गई है : सिब्बल

चुनाव सर्वे पर भाजपा अपने रूख से पलट गई है : सिब्बलनई दिल्ली : चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों को लेकर चल रही बहस के बीच कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि पूर्व में इस पर प्रतिबंध की मांग करने वाली मुख्य विपक्षी पार्टी इस मामले पर अपने पहले के रूख से पलट गई है।

सिब्बल ने आज कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर कोई रूख नहीं अपनाया है, लेकिन उन्होंने कहा कि आमतौर पर यह धारणा है कि चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों के साथ हेरा-फेरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की सलाह की प्रतीक्षा की जा रही है। आयोग इस पर पाबंदी की सिफारिश करता है और सरकार उसे स्वीकार कर लेती है तो जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की जरूरत पड़ेगी।

सिब्बल ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘आम धारणा यह है कि चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में हेर-फेर हो सकती है। अगर राजनीतिक दल महसूस करते हैं कि बिना किसी बाधा के सभी को समान अवसर मिलना चाहिए तो एक राय यह भी है कि हमें उसका सम्मान करना चाहिए।’ उसने सर्वेक्षणों पर कांग्रेस के उस रूख के बारे में पूछा गया था जिसमें पार्टी ने कहा कि इन पर प्रतिबंध होना चाहिए क्योंकि ये न तो वैज्ञानिक होते हैं और न ही इनमें पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाती है।

भाजपा के इस आरोप पर कि कांग्रेस जनमानस का पूर्व इशारा करने वाली इस संदेशवाहक व्यवस्था को खत्म करने का प्रयास कर रही है, सिब्बल ने मुख्य विपक्षी दल पर निशाना साधते हुए कहा, ‘2004 में भाजपा ही प्रतिबंध लगाने संबंधी मांग करके संदेशवाहक को मारना चाहती थी।’

सिब्बल ने कहा, ‘4 अप्रैल, 2004 को तत्कालीन कानून मंत्री अरूण जेटली और भाजपा ने सभी राजनीतिक दलों के साथ यह विचार दिया था कि चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर प्रतिबंध लगना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘वास्तव में विपक्षी पार्टी को स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने अपना रूख क्यों बदला है। अरूण जेटली को स्पष्टीकरण देना चाहिए कि 2004 में कानून मंत्री के रूप में उन्होंने पाबंदी का समर्थन किया था और 2013 में वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करते हैं। 2004 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को क्या हो गया था? भाजपा पलट गई है।’

कानून मंत्री ने कहा, ‘कांग्रेस ने अपने उसी रूख पर कायम है जो उसका 2004 में था। हमारा स्पष्ट रूख था। हमने कहा कि इस पर पूरी तरह पाबंदी नहीं होनी चाहिए। इस रूख और सभी राजनीतिक दलों के विचार के बावजूद पिछले नौ वर्षों’ में क्या हमने चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर कोई रोक लगाई।’ उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून में बदलाव के किसी कदम के लिए जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की जरूरत पड़ेगी।

यह पूछे जाने पर कि सरकार ने इस मुद्दे पर कोई रूख अपनाया है तो मंत्री ने कहा कि सरकार ने कोई रूख नहीं अपनाया है।
उन्होंने कहा, ‘सरकार कैसे रूख अख्तियार कर सकती है। जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन के बिना यह नहीं किया जा सकता। पहले चुनाव आयोग हमें अपनी सलाह देगा।’

सिब्बल ने कहा कि जब चुनाव आयोग ने चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों को प्रतिबंधित करने के बारे में लिखा तो उन्होंने एटार्नी जनरल की राय लिए बगैर आगे बढ़ने से इंकार कर दिया। एटार्नी जनरल ने कहा कि चुनाव पूर्व सर्वेक्षण और चुनाव बाद सर्वेक्षण एक जैसे हैं और इसलिए अगर चुनाव बाद सर्वेक्षण पर प्रतिबंध है तो यह चुनाव पूर्व सर्वेक्षण भी लागू होता है। (एजेंसी)

First Published: Saturday, November 9, 2013, 15:34

comments powered by Disqus