Last Updated: Monday, December 23, 2013, 18:31
ज़ी मीडिया ब्यूरोकोलकाता : कानून की एक इंटर्न का यौन उत्पीड़न करने के लिए अभ्यारोपित उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली ने सोमवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर शिकायत की कि न्यायालय ने उनके पक्ष पर ठीक ढंग से ध्यान नहीं दिया। गांगुली ने साथ ही ‘शक्तिशाली हितों’ पर आरोप लगाया कि वे उनके द्वारा दिए गए कुछ फैसलों के चलते उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष पद छोड़ने के दबाव का सामना कर रहे न्यायमूर्ति गांगुली ने प्रधान न्यायाधीश पी. सदाशिवम को लिखे आठ पृष्ठों के पत्र में यौन उत्पीड़न करने या महिला इंटर्न की ओर कोई अवांछित प्रयास के आरोपों से भी इनकार किया।
न्यायमूर्ति गांगुली ने अपने पत्र में लिखा है वह इस पत्र की एक प्रति राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी भेज रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं हाल के कुछ घटनाक्रमों को लेकर व्यथित हूं। मैं इस बात को लेकर दुखी हूं कि आपके नेतृत्व में उच्चतम न्यायालय ने मेरा पक्ष ठीक ढंग से नहीं लिया।
राजधानी दिल्ली में प्रधान न्यायाधीश कार्यालय की ओर से इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं मिल पाई क्योंकि प्रधान न्यायाधीश छुट्टी पर शहर से बाहर हैं। उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की एक समिति ने यह कहते हुए न्यायमूर्ति गांगुली को अभ्यारोपित किया है कि इंटर्न के लिखित और मौखिक बयान से प्रथम दृष्टया यह खुलासा हुआ है कि न्यायाधीश ने गत वर्ष 24 दिसम्बर को ली मेरीडियन के कमरे में उसके साथ ‘अवांछित व्यवहार किया’ (यौन प्रकृति का अवांछित मौखिक) अशाब्दिक आचरण। गांगुली ने अपने पत्र में कहा कि मेरी छवि को धूमिल करने के संगठित प्रयास हो रहे हैं क्योंकि दुर्भाग्य से मेरा कार्य ऐसा रहा है, मैंने कुछ फैसले कुछ शक्तिशाली हितों के खिलाफ दिए हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस पूरे मामले को मेरी छवि धूमिल करने की स्पष्ट साजिश के तौर पर देखता हूं जो किसी निहित उद्देश्य से किया गया है। न्यायमूर्ति गांगुली उस पीठ का हिस्सा थे जिसने 2जी आवंटन घोटाले में विभिन्न आदेश दिए थे, जिसमें केंद्र द्वारा टेलीकॉम कंपनियों को प्रदान किए गए 122 लाइसेंसों को रद्द करना शामिल था।
उन्होंने समिति की वैधता पर सवाल खड़े करते हुए दलील दी कि चूंकि इंटर्न लड़की उच्चतम न्यायालय की कर्मचारी नहीं थी और वह एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश थे इसलिए समिति ‘गठित करने की कोई जरूरत नहीं थी।’ गांगुली ने कहा कि न्यायाधीशों की समिति गठन से पहले इंटर्न द्वारा उच्चतम न्यायालय या आप श्रीमान के समक्ष किसी भी रूप में कोई शिकायत नहीं की गई थी और संभवत: लड़की ने अपना बयान समिति के निर्देश पर दर्ज कराया।
First Published: Monday, December 23, 2013, 15:37