Last Updated: Sunday, December 29, 2013, 14:47
नई दिल्ली : कोयला खंड आवंटन घोटाले की जांच में उच्चतम न्यायालय से ‘पिंजरे में बंद तोते’ के तमगे से नवाजी गई सीबीआई के लिए यह साल काफी उथल पुथल भरा रहा। यहां तक कि कानून मंत्री अश्विनी कुमार को भी एजेंसी द्वारा की जा रही मामलों की जांच में कथित तौर पर हस्तक्षेप करने के विवाद के चलते पद से हाथ धोना पड़ा।
इस साल संसद में लोकपाल विधेयक पारित होने से सीबीआई के कामकाज में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है। 1997 में विनीत नारायण मामले में उच्चतम न्यायालय का आदेश महत्वपूर्ण रहा था। इससे यह एजेंसी केंद्रीय सतर्कता आयोग की निगरानी में आई और नौकरशाही के अड़ंगे से इसे मुक्त करने के मकसद से सीबीआई प्रमुख को दो साल का तय कार्यकाल मिला।
उच्चतम न्यायालय की आक्रोशित टिप्पणी के बाद कुमार को तो जाना ही पड़ा बल्कि एजेंसी को स्वायत्तता देने की प्रक्रिया की भी शुरूआत हुयी। न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि यह अपने राजनीतिक आकाओं के इशारों पर काम करती है। इसके बाद जागी सरकार ने मंत्रियों का एक समूह बनाया। कई बार की बैठकों के बाद इस समूह ने एजेंसी को सिर्फ ‘कामकाजी स्वायत्तता’ दिए जाने की सिफारिश की।
सीबीआई निदेशक को वित्तीय अधिकार दिया जाना, इसके मनोबल को बढावा देने वाला रहा, लेकिन केंद्र सरकार इसके निदेशक को भारत सरकार के सचिव के बराबर की शक्ति और उस तरह का रैंक देने के लिए राजी नहीं हुई। प्रस्तावित लोकपाल के पास सीबीआई के पास मामले भेजने और जारी जांच पर नजर रखने की शक्ति होगी। उसके पास यह अधिकार भी होगा कि वह अपने द्वारा रेफर किये गए मामले की जांच करने वाले अधिकारियों को बदल सके । एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत हैं कि कामकाज में बदलाव के लिए कार्यप्रणाली के नये नियम जरूरी होंगे।
सीबीआई को स्वायत्तता दिए जाने की मांग जारी रहने के बीच एजेंसी ने हाल में एक महत्वपूर्ण जांच अभियान चलाया और तत्कालीन रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के भांजा विजय सिंगला और रेलवे बोर्ड के सदस्य महेश कुमार को गिरफ्तार किया। हालांकि, एजेंसी की ओर से दाखिल आरोपत्र में बंसल का नाम नहीं था,लेकिन मामला गरमाने के बाद उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
गुजरात के चर्चित दो मुठभेड़ कांड - सादिक जमाल और इशरत जहां मामलों में एजेंसी द्वारा देश की जासूसी एजेंसी खुफिया ब्यूरो के वरिष्ठ अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाने से विवाद गर्मा गया। रिकार्ड मांगे जाने और खुफिया ब्यूरो के वरिष्ठ अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाने को लेकर सीबीआई और आईबी के बीच तनातनी हुई और गृह सचिव के हस्तक्षेप से मामले को सुलझाया जा सका।
खुफिया ब्यूरो के किसी अधिकारी का नामोल्लेख किए बिना सीबीआई ने इशरत जहां मुठभेड़ मामले में अपना पहला आरोप पत्र दाखिल किया। हालांकि, दोनों मामलों में पूरक आरोप पत्र लंबित है। साल का अंत आते आते गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने सनसनीखेज आरूषि और हेमराज हत्या मामले में दंत चिकित्सक राजेश और नूपुर तलवार को हत्या का दोषी माना और उम्रकैद की सजा सुनायी।
भ्रष्टाचार के मामले की गर्मी इस साल भी काफी महसूस की गयी। कोयला घोटाले में आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष के एम बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। बिड़ला और पारेख ने किसी भी तरह की अनियमितता के आरोपों से इंकार कर दिया। सीबीआई ने कोयला आवंटन घोटाले में नवीन जिंदल, उनकी कंपनी जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड तथा पूर्व कोयला मंत्री एन दसारी राव के खिलाफ मामला दर्ज किया। दोनों आरोपियों ने आरोपों से इंकार किया।
रक्षा क्षेत्र में कथित भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला तब सामने आया जब इटली में अधिकारियों ने 3600 करोड़ रूपये के वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे के लिए फिनमैकेनिका और अगस्ता वेस्टलैंड के पक्ष में भारतीय अधिकारियों को घूस दिए जाने के मामले की जांच शुरू की।
घोटाले की जांच शुरू करने को लेकर रक्षा मंत्रालय से निर्देश मिलने के बाद सीबीआई हरकत में आ गयी। मई में सीबीआई ने पूर्व वायु सेना प्रमुख एस पी त्यागी, उनके तीन रिश्तेदारों, तीन यूरोपीय बिचौलियों, फिनमैकेनिका व अगस्तावेस्टलैंड के सीईओ तथा कुछ भारतीय बिचौलियों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया। एजेंसी ने आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति बनाने के आरोप में वाई एस जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ कम से कम छह आरोप पत्र दाखिल किए है। आदर्श सोसाइटी मामले में एजेंसी को तब झटका लगा जब महाराष्ट्र के राज्यपाल के शंकरनारायणन ने मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया। (एजेंसी)
First Published: Sunday, December 29, 2013, 14:09