पटना ब्लास्ट मामले की गुत्थी सुलझी, एनआईए का दावा- निशाने पर थे मोदी

पटना ब्लास्ट मामले की गुत्थी सुलझी, एनआईए का दावा- निशाने पर थे मोदी

पटना ब्लास्ट मामले की गुत्थी सुलझी, एनआईए का दावा- निशाने पर थे मोदीनई दिल्ली : सिमी और इंडियन मुजाहिदीन जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से कथित रूप से जुड़े एक नाबालिग सहित चार लोगों की गिरफ्तारी के साथ पिछले साल पटना में श्रृंखलाबद्ध तरीके से हुए विस्फोट मामले की गुत्थी सुलझाते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दावा किया कि प्रधानमंत्री बनने जा रहे नरेंद्र मोदी को नुकसान पहुंचाने के लिए यह साजिश रची गई थी।

इसे बड़ी सफलता करार देते हुए एनआईए महानिदेशक शरद कुमार ने यहां जल्दबाजी में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘इन लोगों के बीच साजिश निश्चित रूप से मोदी को नुकसान पहुंचाने की थी। पटना विस्फोट मामले में इससे पहले गिरफ्तार किये गये लोगों ने कहा था कि उन्होंने मोदी की रैलियों की टोह ली थी और वहां देखने गये थे कि उनके (मोदी के) पास तक कैसे पहुंचा जाए।’

कुमार ने कहा कि इस टीम के सदस्य चार स्थानों अकबरपुर, कानपुर, दिल्ली और पटना में टोह लेने गये थे। एनआईए अधिकारियों ने कहा कि मोदी की सुरक्षा को देखते हुए ऐसा करना बहुत मुश्किल पाते हुए उन्होंने पटना रैली में बम रखे और एक बम तो मंच से केवल सौ मीटर दूर रखा गया था। हालांकि, यह बम नहीं फटा और बिहार पुलिस ने एक दिन बाद इसे बरामद किया।

उन्होंने कहा कि एनआईए द्वारा गिरफ्तार किये गये लोगों में हैदर अली उर्फ ‘ब्लैक ब्यूटी’, मोजीबुल्लाह, नौमान अंसारी और एक नाबालिग (इसकी पहचान का खुलासा नहीं किया गया) शामिल हैं। एनआईए ने अली के अलावा अन्य तीन पर पांच-पांच लाख रूपये के नकद इनाम की घोषणा की थी जिन्होंने मोदी की 27 अक्तूबर की रैली के दौरान कथित रूप से बम रखे थे।

मोदी की रैली और अस्थायी रेलवे प्लेटफार्म पर हुए बम विस्फोटों में सात लोगों की मौत हुई थी और कई अन्य घायल हुए थे। कुमार ने कहा कि इन गिरफ्तारियों के साथ, एनआईए ने बोधगया मंदिर विस्फोट, पटना रैली विस्फोट और हैदराबाद के दिलसुखनगर में हुए विस्फोट सहित तीन मामलों की गुत्थी सुलझा दी।

उन्होंने कहा कि केन्द्रीय खुाफिया एजेंसियों, एनआईए और झारखंड के पलामू के पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में स्थानीय पुलिस के बीच अच्छे समन्वय की मदद से ये गिरफ्तारियां हुईं। दिल्ली पुलिस द्वारा पिछले महीने इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य तहसीन अख्तर उर्फ मोनू की गिरफ्तारी के बाद से अली की तलाश चल रही थी।

अधिकारियों ने कहा कि हालांकि गिरफ्तार लोग सिमी के ‘रांची माड्यूल’ के सदस्य हैं जो आतंकी हमला करने की साजिश रच रहा था। पहला विस्फोट बोधगया में हुआ जिसमें एक भिक्षु सहित दो लोगों को मामूली चोटें आईं। उन्होंने कहा, ‘हमने पूरी साजिश की गुत्थी सुलझा दी। हालांकि और जानकारियां हासिल करने के लिए आरोपियों से आगे की पूछताछ की जाएगी।’कुमार ने कहा कि बोधगया विस्फोट म्यांमा में ‘रोहिंग्या समुदाय पर हुए अत्याचार’ के जवाब में किया गया।

कुमार ने कहा कि 25 वर्षीय अली ‘सरगना’ था और वह अपने विदेशी ‘आकाओं’ के संपर्क में था और उसे हवाला के जरिये धन भी मिल रहा था। कुमार ने कहा कि गिरफ्तार सभी लोग प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्य हैं और उनका इंडियन मुजाहिदीन के साथ करीबी समन्वय था। उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं कहूंगा कि इंडियन मुजाहिदीन भारत में खत्म हो गया है लेकिन वे अब कमजोर हैं। उसके कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा हुआ है।’ उन्होंने कहा कि पटना विस्फोट के बाद, ये लोग अलग अलग जगहों पर छिपे थे। अब उन सभी जगहों की तलाशी होगी।

उन्होंने कहा कि अली और मोजीबुल्ला को रांची से गिरफ्तार किया गया और उनसे पूछताछ के आधार पर दो अन्य आरोपियों को स्थानीय पुलिस अधीक्षक की मदद से झारखंड के डाल्टनगंज से गिरफ्तार किया गया। एनआईए के आधिकारिक बयान में कहा गया कि अब तक हुई पूछताछ में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और चर्चित हस्तियों पर हमले के लिए झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश से संगठन के लिए युवकों को भर्ती करने की योजना का खुलासा हुआ है। एनआईए ने पटना और बोधगया बम विस्फोटों के लिए अली को ‘मुख्य सरगना’ बताते हुए कहा कि उसने आतंकी गतिविधियों के लिए युवकों की भर्ती की। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, May 21, 2014, 22:33

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