Last Updated: Monday, January 13, 2014, 16:59

नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को लोगों से कहा कि वे उन ताकतों से ‘सतर्क’ रहें जो ‘धर्मनिरपेक्षता को पुन: परिभाषित करने’ का प्रयास कर भारत के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत के खिलाफ काम करती हैं।
उन्होंने संप्रग शासन के दौरान अल्पसंख्यकों के लिए नौकरियों में बढ़ी भागीदारी, ऋण और कल्याणकारी योजनाओं और मुसलमानों के सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन के समाधान के लिए अपनी सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय को लुभाने की कोशिश की ।
राज्य अल्पसंख्यक आयोगों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मनमोहन ने कहा कि भारत की शक्ति एकता में है। उन्होंने लोगों को विभाजनकारी ताकतों को लेकर सतर्क किया। धानमंत्री ने कहा कि देश के रूप में भारत के लिए धर्मनिरपेक्षता सदियों से एक जीवनशैली रही है। हमें उन लोगों से चौकन्ना रहना चाहिए जो धर्मनिरपेक्षता को पुन: परिभाषिति करने की कोशिश के जरिए भारत के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत के खिलाफ काम करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें ऐसी ताकतों से सावधान रहना चाहिए जो समाज को विभाजित करने के लिए हमारी विविधता को धर्म, भाषा और संस्कृति में बांटना चाहती हैं। मनमोहन और प्रधानमंत्री पद के भाजपा के उम्मीदवार मोदी के बीच कुछ दिन से वाकयुद्ध चल रहा है और दोनों ही विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे पर निशाना साधते रहे हैं।
प्रधानमंत्री और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कल लोगों से धार्मिक कट्टरता से लड़ने को कहा था और जोर देकर कहा था कि सच्चा धर्म घृणा तथा विभाजन का आधार नहीं हो सकता। इन टिप्पणियों को भाजपा और मोदी पर हमले के रूप में देखा गया था। मनमोहन ने कहा था कि संप्रग ने अल्पसंख्यक समुदायों के लिए सामाजिक एवं आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने की भरसक कोशिश की है। उन्होंने कहा था कि पिछले नौ सालों में किए गए प्रयासों का प्रत्यक्ष परिणाम सामने है। प्रधानमंत्री ने सच्चर समिति की रिपोर्ट का जिक्र किया और कहा कि उनकी सरकार ने इसकी 76 सिफारिशों में से 72 को स्वीकार कर लिया है। रिपोर्ट में मुसलमानों के सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन का ब्यौरा दिया गया था। (एजेंसी)
First Published: Monday, January 13, 2014, 16:59