Last Updated: Wednesday, October 23, 2013, 00:35

बीजिंग : भारत और चीन हाल ही में लद्दाख की देपसांग घाटी में बनी सैन्य टकराव जैसी स्थितियों से बचने के लिहाज से सीमा पर सहयोग के लिए एक ऐतिहासिक समझौता कर सकते हैं लेकिन एक उदार वीजा प्रणाली की योजना मुश्किल लगती है।
तीन दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। वह बुधवार को चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग से मुलाकात करेंगे जिसके बाद सीमा रक्षा सहयोग सहमति (बीडीसीए) पर दस्तखत किये जाएंगे।
लद्दाख में इस साल की शुरुआत में देपसांग के घटनाक्रम के संदर्भ में इस समझौते को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। देपसांग घाटी में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों ने घुसपैठ की थी और तीन हफ्तों तक वहां रके रहे थे।
हालांकि इस तरह के संकेत हैं कि दोनों देशों के बीच चीनवासियों के लिए उदार वीजा संबंधी सहमति पर दस्तखत होने की संभावना नहीं है। इसे एक तरह से ‘जैसे को तैसे’ के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि हाल ही में चीन ने अरणाचल प्रदेश के दो भारतीय तीरंदाजों को नत्थी किया हुआ (स्टेपल्ड) वीजा दिया था।
बीडीसीए पर दस्तखत होने का रास्ता साफ होने का संकेत देते हुए सूत्रों ने कहा, ‘‘अभी परिणाम के बारे में नहीं पूछिए। हम आपको कल ब्योरा देंगे।’’ सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर टकराव की स्थितियों से बचने के लिए विश्वास बहाली के कदमों के तहत पिछले हफ्ते बीडीसीए को मंजूरी दी थी। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की ओर से कई बार घुसपैठ हुई हैं।
बीडीसीए में दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच भारत और पाकिस्तान की तर्ज पर एक हॉटलाइन स्थापित करने का भी प्रस्ताव है।
सिंह और ली के बीच बातचीत के बाद समझौते को मंजूरी मिलने की संभावना है। ली प्रधानमंत्री के लिए भोज का आयोजन भी करेंगे। दोनों नेताओं की पांच महीने के अंदर यह दूसरी मुलाकात है। इससे पहले मई में चीनी प्रधानमंत्री भारत यात्रा पर आये थे।
राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी कल सिंह के लिए रात्रिभोज देंगे।
प्रधानमंत्री ने बीजिंग पहुंचने के बाद कहा कि वह दोनों देशों के बीच तथा चीनी नेताओं और उनके बीच आगे सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए आशान्वित हैं। सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं चीन आकर बहुत खुश हूं। चीन हमारा अच्छा पड़ोसी देश है। हमारा रिश्ता सदियों पुराना है। हमें कई चीजों पर चर्चा करनी है।’’ चीनी के उप विदेश मंत्री झाई उन ने प्रधानमंत्री की अगवानी की।
सीमा की घटनाओं को लेकर सूत्रों ने माना कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर धारणाओं में मतभेद के चलते इस तरह की घटनाएं जारी रहेंगी।
उन्होंने कहा कि एलएसी दरअसल सबसे शांत सीमा है।
सूत्रों के मुताबिक, ‘‘1978 में आखिरी बार किसी की मृत्यु हुई थी। यह कोई जलती हुई सीमा नहीं है। धरातल पर कुछ नहीं बदला है। अमन और शांति को बनाये रखा गया है और हम इस दिशा में काम करते रहेंगे कि हम सभी अपनी क्षमता विकसित करें और सीमा पर अपने बुनियादी ढांचे विकसित करें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘स्वाभाविक तौर पर हर स्तर पर नये साम्य तलाशना महत्वपूर्ण होता है।’’ सूत्रों ने कहा कि देपसांग पर दोनों पक्षों ने सबसे अधिक सफलता के साथ स्थिति को संभाला।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने यथास्थिति बनाये रखी। हमें 1993 की सहमति के तहत ऐसा ही करना है। हमने तीन सप्ताह के भीतर तत्परता से और ठीक तरह से इसे किया।’ (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 23, 2013, 00:35