Last Updated: Saturday, January 18, 2014, 19:54

नई दिल्ली : लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने में अन्ना हजारे के नेतृत्व में समाज की भूमिका को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि पहली बार कोई कानून जन सहभागिता के आधार पर तैयार किया गया जो पहले विधायिका के विशिष्ठ अधिकार क्षेत्र में आता था।
प्रणब ने कहा, ‘भारतीय राजनीति में पहली बार कानून संघीय या राज्य विधायिका के विशिष्ट दायरे में नहीं बंधा रहा। समाज के लोगों ने यह प्रदर्शित किया कि वे विधायी प्रक्रिया में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं और संसदीय राजनीति में नया आयाम प्रदान कर सकते हैं।’ जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने इस विधेयक के इतिहास एवं बारीकियों का उल्लेख किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि 1970 के दशक से ही भारत के लोग चाहते थे कि लोकपाल हकीकत बने। उन्होंने कहा, ‘जब अन्ना हजारे ने मजबूत लोकपाल के लिए आंदोलन शुरू किया था तब उन्हें समाज के लोगों से व्यापक समर्थन मिला। कोई भी जिम्मेदारी और जवाबदेह सरकार लोकपाल विधेयक के समर्थन में इतने व्यापक जनसमर्थन को नजरंदाज नहीं कर सकती।’
‘नेहरू और संसदीय लोकतंत्र’ विषय पर 10वां नेहरू स्मारक व्याख्यान देते हुए प्रणब ने कहा, ‘यही कारण है कि सरकार ने अन्ना हजारे की ओर से चुने गए पांच प्रतिनिधियों के साथ पांच वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक का निर्णय किया और संसद में पेश करने के लिए विधेयक का मसौदा तैयार किया।’
राष्ट्रपति ने लोकपाल पर मंत्रियों के समूह का नेतृत्व किया था जब वह केंद्रीय मंत्री थे। राष्ट्रपति ने कहा कि लोकपाल विधेयक पर आंदोलन ने यह प्रदर्शित किया कि समाज कानून बनाने में पहल की अगुवायी कर सकता है। उन्होंने संसद सत्र के दौरान कामकाज बाधित रहने और बिना किसी चर्चा के बजट समेत अन्य महत्वपूर्ण विधेयकों के गैर जिम्मेदाराना ढंग से पारित होने पर चिंता व्यक्त की।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘विरोध का प्रकटीकरण मर्यादा और संसदीय नियमों एवं मापदंडों के तहत किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि देश के लोग लोकतांत्रिक ढांचे के मालिक हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरे समेत निर्वाचित पद पर बैठे किसी भी व्यक्ति को मतदाताओं ने पद पर काबिज होने के लिए आमंत्रित नहीं किया है। हर कोई मतदाताओं के पास गया और उनसे वोट और समर्थन मांगा। लोगों ने राजनीतिक प्रणाली और चुने प्रतिनिधियों में जो विश्वास जताया है, उसे नहीं तोड़ा जाना चाहिए।’ (एजेंसी)
First Published: Saturday, January 18, 2014, 19:54