Last Updated: Sunday, October 6, 2013, 17:45
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 20 अक्टूबर से रूस और चीन की महत्वपूर्ण यात्रा पर होंगे। इस दौरान व्यापार, व्यावसाय और उर्जा क्षेत्र में कई प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। प्रधानमंत्री यात्रा के पहले चरण में 20 से 22 अक्टूबर को रूस में परमाणु सहयोग, व्यापार और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर वार्ता करेंगे। सिंह 22 अक्टूबर को मास्को से बीजिंग के लिए रवाना होंगे जहां वह भारत में सीमापार से आने वाली नदियों, व्यापार घाटे और सीमा पर हुई घटनाओं से जुड़ी चिंता पर बातचीत की उम्मीद है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई बैठक के दौरान सिंह उन्हें भारतीय परमाणु दायित्व कानून से जुड़ी चिंता और दूरसंचार क्षेत्र में रूसी निवेश की सुरक्षा के बारे में भी आश्वस्त करेंगे।
हाल में ही मास्को में संपन्न भारत-रूस अंतरसरकारी आयोग की बैठक के बाद संकेत हैं कि दोनों देशों ने परमाणु दायित्व मामले के संबंध में प्रगति की है जो कुडनकुलम परमाणु बिजली परियोजना (केएनपीपी) की तीसरी और चौथी इकाई के लिये रूसी रियेक्टर की आपूर्ति अनुबंध के लिए महत्वपूर्ण है। समझा जाता है कि सिंह की यात्रा से पहले केएनपीपी की तीसरी और चौथी इकाई के लिए प्रौद्योगिकी-वाणिज्यिक समझौते को अंतिम स्वरूप देने के लिए बातचीत चल रही है और आधिकारियों को उम्मीद है कि दोनों पक्षों के बीच वार्ता के बाद इस पर समझौता हो जाएगा।
दरअसल भारत के परमाणु क्षतिपूति संबंधी नागरिक उत्तरादायित्व (सीएनएलडी) अधिनियम, 2010 और अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय सिद्धांतों के अनुरूप बनाने की कोशिश हो रही है। अन्य महत्वपूर्ण मामलों में दूरसंचार क्षेत्र में रूसी निवेश शामिल होगा क्योंकि रूस की प्रमुख कंपनी सिस्तेमा ने पिछले सप्ताह स्पेक्ट्रम नीलामी के संबंध में दूरसंचार नियामक ट्राइ के सुझावों पर यह कहते हुए नाखुशी जाहिर की थी इससे अस्पष्टता और नीतिगत अनिश्चितता पैदा हुई है जिससे निवेश योजनाओं पर असर होगा। सिंह इस संबंध में रूसी नेता को आश्वस्त करेंगे।
एमटीएस ब्रांड के तहत मोबाइल सेवा प्रदान करने वाली सिस्तेमा श्याम टेलीसर्विसेज लिमिटेड न ट्राइ के इस सुझाव का विरोध किया है कि सीडीएमए परिचालकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं करनी चाहिए और इसके एक हिस्से का उपयोग जीएसएम सेवाओं के लिए किए जाने की संभावना तलाशी जानी चाहिए। अन्य प्रमुख मुद्दों में दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे में रूसी निवेश, फार्मा और उर्वरक क्षेत्र में संयुक्त उद्यम शामिल होंगे क्योंकि भारत को उम्मीद है कि इन क्षेत्रों में कुछ समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्ष क्षेत्र में विशेष तौर पर पाकिस्तान और अफगानिस्तान को लेकर सुरक्षा स्थिति पर भी बातचीत करेंगे।
चीन यात्रा के दौरान सिंह चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग के साथ प्रमुख द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत करेंगे जिनमें सीमा-पार की नदियों के मामले, व्यापार घाटा कम करने के लिए औद्योगिक पार्कों के जरिए चीनी निवेश बढ़ाने के तरीके और सीमा पर हुई घटनाएं शामिल होंगी। उम्मीद है कि दोनों पक्ष सीमा सुरक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे जिसका लक्ष्य है दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयेाग बढ़ाना।
सूत्रों ने यह भी बताया कि वीजा प्रणाली आसान बनाने के समझौते की संभावना पर भी बातचीत चल रही है। दोनों पक्ष समझौते के मसौदे पर वार्ता कर रहे हैं और यदि बहुत ज्यादा असहमति नहीं हुई तो सिंह की यात्रा के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर हो सकता है। उन्होंने बताया कि भारत को सांस्कृतिक समझौते के अलावा बिजली उपकरणों की आपूर्ति के लिए समझौते के ढांचे पर हस्ताक्षर की उम्मीद है।
चीन के साथ व्यापार घाटा बहुत अधिक होने के कारण भारत चीन पर और अधिक उत्पादों के आयात और बेहतर बाजार पहुंच के लिए दबाव डाल सकता है। आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक वित्त वर्ष 2012-13 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा रिकार्ड 40.78 अरब डालर है जो 2011-12 में 39.4 अरब डालर और 2010-11 में 27.95 अरब डालर रहा था।
पांच राज्यों - उत्तर प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक - में चीनी व्यावसायिक पार्क स्थापित करने का प्रस्ताव है जो विशेष आर्थिक क्षेत्र की तरह काम करेगा। सिंह और शी चिन्फिंग सीमा पार नदियों के मामले में पर चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री ने इस मामले को चीन के राष्ट्रपति के समक्ष मार्च में डरबन में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका) सम्मेलन में हुई मुलाकात के दौरान भी उठाया था। प्रधानमंत्री ने चीन में ब्रह्मपुत्र पर तीन बांध बनाने के प्रस्ताव पर भी चिंता जाहिर की थी।
चीनी सेनाओं द्वारा कई बार भारतीय सीमा में प्रवेश के मद्देनजर सिंह की यात्रा चीन के शीर्ष नेतृत्व के सामने भारत की चिंताओं को उठाने का बेहतर अवसर होगा। यह राष्ट्रपति शी की सिंह के साथ तीसरी बैठक होगी। दोनों नेताओं की रूस में हुए जी20 सम्मेलन के मौके पर मुलाकात हुई थी। नेतृत्व में हुए बदलाव के बाद प्रधानमंत्री की यह पहली चीन यात्रा होगी। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 6, 2013, 17:45