Last Updated: Thursday, May 29, 2014, 15:36
ज़ी मीडिया ब्यूरो/बिमल कुमार नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार ने गुरुवार को दस सूत्री एजेंडा तय किया है। जानकारी के अनुसार, मोदी सरकार के दस सूत्रीय कार्यक्रम और प्राथमिकताओं को आज तय कर दिया गया है। सभी कार्यों को पूरा करने के लिए सरकार के सौ दिनों का एजेंडा भी तय किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सभी मंत्रिमंडलीय सहयोगियों से शुरुआती 100 दिन का ‘टाइम टेबल’ तैयार करने को कहा है और निर्देश दिया है कि वे तय करें कि तरजीही विषय क्या हैं और लंबित मुद्दे कौन से हैं। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्देश दिए गए।
सभी कार्यक्रम और प्राथमिकताएं क्रमवार इस प्रकार हैं:- 1. नौकरशाहों का मनोबल बढ़ाया जाए, विश्वास पैदा किया जाए
2. नए सुझावों का स्वागत, नौकरशाहों को काम करने की आजादी
3. शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क, ऊर्जा प्राथमिकता होंगी
4. सरकार के कामों में पारदर्शिता लाई जाएगी, ई ऑक्शन के जरिये टेंडर
5. अंतर मंत्रालय तालमेल के लिए सरल व्यवस्था, तंत्र विकसित किया
जाएगा
6. जनता का वादा पूरा करने के लिए सिस्टम, जनता के हितों के मुद्दों को प्राथमिकता
7. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश, आर्थिक मामलों पर विशेष ध्यान
8. संसाधनों और निवेश के लिए रिफॉर्म, इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार किया जाएगा
9. तय मियाद के अंदर सभी नीतियों पर अमल
10. सरकारी नीतियों में स्थितरता और निरंतरता।
बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने यहां संवाददाताओं को बताया कि सभी मंत्रियों ने अपने संबद्ध मंत्रालयों और विभागों के मुद्दे और सुझाव मोदी के समक्ष रखे। मोदी ने सबकी बात सुनने के बाद कहा कि सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा सुशासन है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। बकौल नायडू मोदी ने कहा कि दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा डिलीवरी (निष्पादन) है। तीसरा महत्वपूर्ण मुद्दा कार्यान्वयन है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि राज्यों की ओर से आने वाली चिट्ठियों और ज्ञापनों को महत्व मिलना चाहिए। उनका अध्ययन कर तुरंत जवाब देना चाहिए। जनता की ओर से आने वाली शिकायतों और मुददों पर भी ध्यान दिया जाए और उनके तुरंत समाधान का प्रयास किया जाना चाहिए।
नायडू ने कहा कि मोदी ने सभी मंत्रियों को पहले 100 दिन का टाइम टेबल तैयार करने को कहा। उन्होंने कहा कि कौन से मुद्दों को तरजीह देनी है और कौन से मुद्दे लंबित हैं, इस पर ध्यान दिया जाए। इनके समाधान का प्रयास किया जाना चाहिए। राज्यों को साथ लेकर चलें। असल संघीय व्यवस्था कायम होनी चाहिए।
नायडू ने बताया कि उन्होंने कल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर उन्हें बताया कि लोकसभा के प्रोटेम (अस्थायी) स्पीकर के लिए वरिष्ठतम सदस्य कमलनाथ के नाम का चयन किया गया है। उनके सहयोग के लिए स्पीकर के पैनल पर तीन और सदस्य होंगे। ये अर्जुन चरण सेठी, पीए संगमा और वीरेन सिंह एंगती हैं। इस बारे में अधिसूचना जल्द आ जाएगी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ने उक्त सभी नामों पर सहमति जताई है। उक्त सदस्यों की भी सहमति सरकार ने ले ली है। नायडू ने बताया कि स्पीकर (लोकसभा अध्यक्ष) के चुनाव के बाद हम उपाध्यक्ष के बारे में फैसला करेंगे।
कांग्रेस को विपक्ष के नेता का पद देंगे या नहीं, इस सवाल के जवाब में नायडू ने कहा कि हम विभिन्न परंपराओं का अध्ययन कर रहे हैं और इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है। उल्लेखनीय है कि विपक्ष का नेता बनने के लिए विपक्षी दल के पास लोकसभा के कुल 543 सदस्यों का दस प्रतिशत होना अनिवार्य होता है जो कांग्रेस या किसी अन्य दल के पास नहीं है। ये पूछे जाने पर कि क्या सरकार कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों को पहले सत्र में पारित कराएगी, नायडू ने कहा कि मैं इस प्रक्रिया में हूं कि कौन से विधेयक लंबित हैं। कौन से विधेयक तरजीह दिये जाने वाले हैं। इसका अध्ययन चल रहा है। इस सवाल पर कि अगर अन्नाद्रमुक, तेदेपा और तृणमूल कांग्रेस जैसे दल यदि मिलकर गठबंधन बनाते हैं तो क्या उपाध्यक्ष का पद उन्हें दिया जाएगा, नायडू ने कहा कि ऐसी कोई परंपरा नहीं है। गठबंधन की सरकार के बारे में तो सुना है लेकिन अब तक गठबंधन वाले विपक्ष के बारे में नहीं सुना। विपक्ष के नेता को लेकर 1977 के कानून, परंपराओं और नियमों को ध्यान में रखकर ही उचित समय आने पर कोई फैसला किया जाएगा।
First Published: Thursday, May 29, 2014, 13:12