Last Updated: Tuesday, November 12, 2013, 00:11
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी देकर कर गंभीर फर्जीवाड़ा जांच कार्यालय (एसएफआईओ) की रिपोर्ट पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया गया है। एसफआईओ ने नीरा राडिया की कुछ टैप बातचीत की छानबीन में कथित तौर पर कुछ खास कारोबारी लेन देन की अनियमितता में कुछ शीर्ष उद्योगपतियों की संलिप्तता पाई थी।
एसएफआईओ के निदेशक को जांच अधिकारी द्वारा लिखे गए एक तथाकथित पत्र का हवाला देते हुए गैर सरकारी संगठन संेटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने दलील दी है कि गंभीर कॉरपोरेट फर्जीवाड़ा के मामलों की जांच किए जाने की जरूरत है।
यह कहा गया है कि रेजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ने मूल रूप से एक जांच शुरू की, जिसके द्वारा कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को दी गई रिपोर्ट पर एसएफआईओ की एक जांच का आदेश दिया गया।
एनजीओ ने कहा कि इन सभी चीजों की गहनता से जांच की गई और कई महीने पहले शीर्ष कॉरपोरेट के खिलाफ भारत सरकार से कार्रवाई करने की सिफारिश की गई थी। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
एनजीओ ने आरोप लगाया कि शीर्ष न्यायालय द्वारा बनाए गए मुद्दे से ये सब मामले अलग हैं। शीर्ष न्यायालय ने सीबीआई जांच का निर्देश दिया था।
याचिका में कहा गया है कि इस तरह से यह शीर्ष उद्योगपतियों को बचाने के लिए जांच में रोड़ा अटकाने की एक स्पष्ट कोशिश है। सिर्फ इस न्यायालय के सख्त निर्देशों पर दोषी न्याय के दायरे में आ सकते हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 12, 2013, 00:11