Last Updated: Wednesday, February 26, 2014, 18:56

गुवाहाटी : कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि मणिपुर और असम में उग्रवाद की समस्या को वार्ता, सत्ता के विकेंद्रीकरण और प्यार से हल किया जा सकता है। यह पूछने पर कि क्या मणिपुर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम को वापस लिया जा सकता है तो राहुल ने कहा, ‘मैं महात्मा गांधी से प्रेरित हूं कि लड़ाई को वार्ता, प्यार और शांति के माध्यम से सुलझाया जा सकता है। यही मेरा जवाब है।’
डॉन बॉस्को यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, ‘चर्चा किए बगैर आप समस्या का समाधान नहीं कर सकते। उनके पास इतनी शक्ति होनी चाहिए कि वे अपने भविष्य एवं सपने को पूरा कर सकें। इसलिए लोगों एवं युवाओं के पास ज्यादा शक्ति होनी चाहिए।’
राहुल ने कहा, ‘मुझे वास्तव में विश्वास है कि मणिपुर एवं असम में समस्याओं का समाधान हो सकता है और जल्द ही इसका समाधान होगा। प्रशासन की बात जब आती है तो दो सक्षम विचार हैं। एक विचार है कि प्रशासन को एक व्यक्ति द्वारा केंद्रित तरीके से चलाया जाना चाहिए। दूसरा विचार है कि प्रशासन को लोगों को ज्यादा से ज्यादा शक्ति देकर चलाया जाना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि हमारे देश में अधिकतर संघर्ष इसलिए होते हैं कि हमने लोगों को ज्यादा शक्तियां नहीं दी हैं। अगर आप 20 वर्ष पहले असम आते तो यहां काफी संघर्ष था। और पिछले 20 वर्षों में आपने देखा होगा कि संघर्ष खत्म हो गया है।’ राहुल ने कहा, ‘यह संघर्ष कैसे खत्म हुआ? क्योंकि वार्ता में हमने लोगों को शामिल किया। हमने लोगों को गले लगाया, लोगों के साथ बैठे और चर्चा की कि उनकी समस्याएं क्या हैं।’
गांधी ने कहा, ‘सम्पर्क के अलावा दूसरी समस्या यह है कि देश के अन्य हिस्से में जाने वाले पूर्वोत्तर के लोग सहज नहीं हैं क्योंकि कभी भी उनसे विशेष रूप से महिलाओं से अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता।’ कांग्रेस नेता ने इसके साथ ही शिक्षा प्रणाली को और अधिक छात्रा आधारित बनाने के लिए उसमें और उसे तैयार करने के तरीके में बदलाव की वकालत की। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को अधिक सहयोग दिया जाना चाहिए। एक नेटवर्क होना चाहिए और देश के बाकी हिस्से के प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिए।
गांधी ने कहा, ‘शैक्षणिक संस्थान उद्योग और विधि प्रणाली से जुड़े होने चाहिए। आधुनिक विश्वविद्यालय को देखिये। वह एक सामान्य शिक्षण संस्थान से अधिक एक नेटवर्क की तरह है।’ उन्होंने कहा, ‘शिक्षा व्यवस्था छात्रों के इर्दगिर्द केंद्रित रहनी चाहिए। शिक्षक को सहज बनाने, शिक्षक को प्रशिक्षित करने और छात्रों को पढ़ाये जाने वाली सामग्री के लिए सहज बनाने की प्रणाली केंद्रित होनी चाहिए। हमें वह सब करना चाहिए जिससे हम छात्रों के लिए परीक्षा को आसान बना सकें।’ (एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 26, 2014, 18:56