Last Updated: Tuesday, November 26, 2013, 00:08
ज़ी मीडिया ब्यूरोगाजियाबाद : गाजियाबाद स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने सोमवार को आरुषि-हेमराज दोहरे हत्याकांड में अहम फैसला सुनाया। अदालत ने इस दोहरे हत्याकांड में आरुषि के माता-पिता एवं दंत चिकित्सक दंपति राजेश एवं नूपुर तलवार को दोषी करार दिया। अदालत दोनों की सजा पर मंगलवार को फैसला सुनाएगी।
पांच वर्ष पहले घटी यह घटना देश के कुछ सर्वाधिक चर्चित मामलों में रही, तथा इस दौरान इसमें काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले। काफी लंबे समय से इस मामले में अदालत के फैसले का इंतजार किया जा रहा था।
न्यायाधीश एस. लाल ने जब राजेश एवं नूपुर तलवार को दोषी करार दिया तो दोनों रो पड़े। अदालत ने राजेश एवं नूपुर तलवार को आईपीसी की धारा-302,34, 201 के तहत दोषी ठहराया है। राजेश तलवार को सेक्शन 203 के तहत भी दोषी ठहराया गया है। दोषी करार दिए जाने के बाद राजेश एवं नूपुर तलवार को हिरासत में ले लिया गया। हिरासत में लिए जाने के बाद दोनों को डासना जेल भेज दिया गया।
न्यायाधीश ने करीब साढ़े तीन बजे यह अहम फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने जिस समय दोनों को दोषी ठहराया उस समय कोर्ट रूप में करीब 15 लोग मौजूद थे। राजेश को गुमराह करने का भी दोषी पाया गया है। राजेश एवं नूपुर तलवार के वकील ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगे।
सोमवार को दोपहर 3.25 बजे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत के न्यायाधीश श्याम लाल ने आरुषि, हेमराज हत्याकांड मामले में तलवार दंपति को दोषी करार दिया। वकीलों ने बताया कि अदालत का फैसला आने के बाद तलवार दंपति रो पड़े। हालांकि तलवार दंपति ने खुद को बेगुनाह बताया, और न्याय के लिए लड़ाई जारी रखने की बात कही। मामले में सजा मंगलवार को सुनाई जाएगी।
अदालत का फैसला आने के थोड़ी ही देर बाद तलवार दंपति को पुलिस गाजियाबाद के डासना जेल ले गई। तलवार दंपति को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 34 (कई लोगों द्वारा एक ही मंशा से किया गया अपराध) और 201 (साक्ष्य नष्ट करना) के तहत दोषी ठहराया गया है। राजेश तलवार को आईपीसी की धारा 203 (जांच को गुमराह करने) का भी दोषी पाया गया है।
16 मई, 2008 को नोएडा स्थित दंत चिकित्सक तलवार दंपति के घर में उनकी 14 वर्षीय बेटी आरुषि मृत पाई गई थी। पुलिस को नौकर हेमराज पर आरुषि की हत्या करने का संदेह था, लेकिन उनका संदेह तब आधारहीन साबित हुआ, जब अगले ही दिन घर की छत से हेमराज का भी शव बरामद हुआ। उसकी हत्या भी आरुषि की ही तरह गला रेतकर की गई थी।
मीडिया को चूंकि अदालती कार्यवाही के दौरान अदालत में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी, इसलिए सोमवार को अदालत का फैसला आने के बाद हेमराज के वकील नरेश यादव के हवाले से पता चला कि तलवार दंपति को दोषी करार दिया गया है। नरेश यादव ने बताया कि जब उन्होंने अदालत में प्रवेश किया तो न्यायाधीश ने जानना चाहा कि क्या तलवार दंपति अदालत में उपस्थित हैं। जब न्यायाधीश को उनके उपस्थित होने के बारे में बताया गया, तो न्यायाधीश ने तलवार दंपति की ओर देखा और फैसला सुनाना शुरू किया। अदालत का फैसला आने के बाद तलवार दंपति ने एक वक्तव्य में कहा कि वे बहुत निराश हैं।
तलवार दंपति के वकील ने उनके हवाले से कहा कि हम ऐसे गुनाह के लिए दोषी करार दिए जाने पर बेहद निराश, आहत और दुखी हैं, जो हमने किया ही नहीं। हम हारे नहीं हैं और न्याय के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। राजेश तलवार के भाई वीरेंद्र तलवार ने भी अदालत के फैसले पर असंतोष जाहिर किया। उन्होंने कहा कि वह आदालत के फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगे। वीरेंद्र ने कहा कि अदालत के फैसले में कई पहलुओं को नजरअंदाज किया गया, जिसे हम ऊपरी अदालत में अपील कर अच्छी तरह पेश करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि हमें उम्मीद थी कि आज हमें न्याय मिलेगा, आरुषि को न्याय मिलेगा, हेमराज को न्याय मिलेगा, जो नहीं मिला। आरुषि की हत्या के बाद जांच के दौरान पुलिस ने शुरू में राजेश तलवार को दोनों हत्याओं के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस अधिकारियों को संदेह था कि ये हत्याएं सम्मान के नाम पर की गई थीं।
कुछ ही दिन बाद लेकिन पुलिस की जांच की आलोचना शुरू हो गई। इसके बाद उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई ने जांच की शुरुआत करते ही तलवार दंपति को क्लीन चिट दे दी और उनके प्रयोगशाला सहयोगी और दो अन्य व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन उनके खिलाफ ठोस सबूत न मिलने के कारण उन्हें जमानत पर छोड़ना पड़ा। जांच में गड़बड़ी के कारण हो रही आलोचना को देखते हुए सीबीआई के निदेशक अश्वनी कुमार ने एक नई जांच दल गठित की। सीबीआई के इस नए जांच दल ने फिर से तलवार दंपति पर हत्या करने का संदेह जताया था।
गौरतलब है कि राजेश एवं नुपूर तलवार दोनों पर 15-16 मई 2008 की दरमियानी रात नोएडा के अपने जलवायु विहार स्थित आवास पर हत्या करने और सबूत नष्ट करने का आरोप था। उत्तर प्रदेश पुलिस और सीबीआई की अलग-अलग तर्कों के साथ इस मामले में कई उतार-चढ़ाव आये। शुरुआत में शक की सूई राजेश तलवार पर उसके बाद उनके मित्रों के घरेलू सहायकों पर फिर राजेश और उनकी पत्नी पर गई।
एक समय सीबीआई ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी थी लेकिन कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को ही आरोपपत्र मान लिया और राजेश एवं नूपुर तलवार के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया।
First Published: Monday, November 25, 2013, 12:13