Last Updated: Tuesday, April 15, 2014, 18:00

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी ने मंगलवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज को ऐसी `समानांतर सरकार` बताया जो देश के प्राकृति व वित्तीय संसाधनों पर `ढिठाई` से अधिकार करती है।
गांधी यहां 15वां डीपी कोहली स्मृति व्याख्यान दे रहे थे। इसका आयोजन सीबीआई के स्वर्ण जयंती कार्य्रकमों के तहत किया गया था। उन्होंने कहा, `हम काले धन की बात समानांतर अर्थव्यवस्था के रूप में करते हैं और यह अब भी बनी हुई है। लेकिन रिलायंस तो समानांतर सरकार है। मैं किसी ऐसे देश को नहीं जानता जहां कोई एक कंपनी प्राकृतिक संसाधनों, वित्तीय संसाधनों, पेशेवर संसाधनों और अंतर मानव संसाधनों पर इतनी ढिठाई से अधिकार चलाती है जितना कि अंबानियों की यह कंपनी।`
उन्होंने कहा, `भीमराव अंबेडकर ने जिस आर्थिक-लोकतंत्र की बात की थी वह अंबानी की कंपनी से बिल्कुल ही मेल नहीं खाता क्यों कि यह कंपनी एक अभूतपूर्व स्तर की तकनीकी-वाणिज्यिक एकाधिकारी फर्म है।` देश के आर्थिक हालात की चर्चा करते हुए गांधी ने कहा कि अर्थव्यवस्था ने कुछ अद्भुत सफलताएं हासिल की हैं जिनमें कुछ बेघरों को मकान तथा जरूरत का बाकी सामान मिला है।
गांधी ने कहा, `अगर आप दूसरा पहलू नहीं देखना चाहें तो हमारी अर्थव्यवस्था आश्चर्यचकित करने वाली है। अगर आप वह दूसरा पहलू देखेंगे तो यहां पागलपन जैसी स्थिति है। कंपनियों का लालच सभी सीमाओं को पार कर चुका है और कंपनियों में कोई लिज्जत या स्वाद नहीं बचा है।` इस व्याख्यान का विषय `भरी दोपहरी में ग्रहण: भारत की अंतरात्मा पर छाया` था। गांधी ने कहा कि धन शक्ति से लोकतंत्र प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा, `हमारा लोकतंत्र बड़ा है, गतिशील है लेकिन इसमें गंभीर खामिया हैं। केवल बड़ा होना ही अपने आप में देश के लोकतंत्र को वैधता प्रदान नहीं करता। गुणवत्ता नाम की भी कोई चीज भी होती है।`
उन्होंने कहा कि ‘लोकतंत्र का राजा मतदाता ताकतवर है लेकिन उसकी शक्ति को खुशामद से बराबार बेकार कर दिया जाता है। पैसे ने हमरे लोकतंत्र की गर्दन पकड़ रखी है। यह काई भी गड़बड़ कर सकती है और करती भी है।` (एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 15, 2014, 18:00