Last Updated: Saturday, October 26, 2013, 21:09
नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) पी. सदाशिवम ने आज कहा कि कानूनी साक्षरता तक पहुंच कायम करना संविधान के तहत मिला अधिकार है और हाशिए पर पड़े लोगों को इसके प्रति जागरूक करने से वे अपने हक की खातिर लड़ने के योग्य बन सकेंगे।
न्यायमूर्ति सदाशिवम ने कहा, ‘मेरे विचार में कानूनी साक्षरता तक पहुंच भारत के संविधान के तहत दिया गया अधिकार है। हालांकि, यह अधिकार स्पष्ट नहीं है। कानूनी साक्षरता का अधिकार कानून के शासन के सामान्य अधिकार और संविधानवाद के हिस्से के तौर पर वजूद में हैं।’ मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘कानूनी साक्षरता हमारे संवैधानिक लोकतंत्र का मूल आधार है। हमारा पूरा न्यायिक कामकाज इस धारणा पर आधारित होता है कि सभी लोग अपने अधिकारों के बारे में जानते हैं और संबंधित संस्था से संपर्क साधने के योग्य हैं।’
बहरहाल, न्यायमूर्ति सदाशिवम ने कहा, ‘जिस तरह साक्षरता के स्तर में इजाफा हुआ है उस अनुपात में लोगों में अपना हक पाने की प्रवृति नहीं आ सकी है। इसकी सबसे बड़ी वजह लापरवाही और मौजूदा कानूनों के प्रति जागरूकता की कमी है। लोगों को यह नहीं पता होता कि उनके सामने कानूनी विकल्प कौन-कौन से हैं।’
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) की ओर से आयोजित पैरा-लीगल स्वयंसेवकों के राष्ट्रीय सम्मेलन में न्यायमूर्ति सदाशिवम ने कहा कि कानूनी साक्षरता और जागरूकता सामाजिक-आर्थिक प्रगति के उत्प्रेरक हैं और वे जनसंख्या नियंत्रण, स्वास्थ्य, साफ-सफाई, पर्यावरण देखभाल, समाज के कमजोर तबकों के रोजगार सहित विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं। (एजेंसी)
First Published: Saturday, October 26, 2013, 21:09