‘शिक्षा के मौकों की तुलना में महिलाओं पर रेप का खतरा अधिक’

‘शिक्षा के मौकों की तुलना में महिलाओं पर रेप का खतरा अधिक’

नई दिल्ली : नई दिल्ली में कलाकारों ने शहर में 16 दिसंबर, 2012 को हुए 23 वर्षीय छात्रा के सामूहिक बलात्कार की घटना पर आधारित जीवंत रंगमंच प्रस्तुति पेश करके दर्शकों को झकझोर कर रख दिया। ‘निर्भया: ब्रेकिंग द साइलेंस’ नामक इस रंगमंच प्रस्तुति के दौरान कलाकारों के निजी अनुभवों को भी दिखाया जो स्वयं यौन हिंसा का शिकार हुई हैं।

पुरस्कार विजेता नाटककार याइल फार्बर द्वारा लिखित एवं निर्देशित इस प्रस्तुति को पिछले साल प्रतिष्ठित एडिनबर्ग फेस्टिवल फ्रिंज में पहली बार पेश किया गया था और इसे एमनेस्टी इंटरनेशनल फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन अवार्ड से नवाजा गया।

इस रंगमंच प्रस्तुति में अभिनय करने वाली और ‘देली बेली’ में अपने अभिनय के लिए जानी जाने वाली पूर्णा जगन्नाथन ने कहा कि यौन हिंसा एक महामारी सी बन गई है। यह केवल महिला या पुरष-महिला की एक समस्या नहीं है बल्कि एक वैश्कि समस्या है। नाटक की एक अन्य कलाकार और पेटा, स्टॉप एसिड अटैक एवं फाइट बैक की प्रवक्ता सपना ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार विश्व में चार में से एक महिला का बलात्कार किया गया है। इसका अर्थ यह हुआ कि महिलाओं के पास शिक्षा के उतने मौके नहीं है जितना कि उन पर बलात्कार का खतरा है।

सपना और पूर्णा के अलावा ‘गुलाब गैंग’ फिल्म में अभिनय करने वाली प्रियंका बोस, तेजाब हमले का शिकार हुई स्नेहा जवाले, गायक एवं गीतकार जपजीत कौर और अंकुर विकाल ने भी इस नाटक को जीवंत बनाने में अपना योगदान दिया। (एजेंसी)

First Published: Monday, March 24, 2014, 12:05

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