Last Updated: Wednesday, November 27, 2013, 12:53
ज़ी मीडिया ब्यूरोचेन्नई: शंकररामन मर्डर में कांची पीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती समेत सभी 23 आरोपियों को बरी कर दिया है। मामले में कांची मठ के मठाधीश जयेन्द्र सरस्वती और विजयेन्द्र सरस्वती प्रमुख आरोपी थे। मामले की सुनवाई नौ साल से ज्यादा समय तक चली।
पुडुचेरी मुख्य जिला एवं सत्र न्यायाधीश सी. एस. मुरूगन ने कांचीपुरम जिले के वरदराजपेरूमल मंदिर के प्रबंधक ए. शंकररमन की हत्या में क्रमश: आरोपी1 और आरोपी 2 चिह्नित किए गए शंकराचार्य और उनके कनिष्ठ के साथ 21 अन्य आरोपियों को भी इस मामले से आरोपों से बरी कर दिया। इस मामले में कुल 24 लोगों को आरोपी बनाया गया था। उनमें से एक कथिरावन की इस साल हत्या कर दी गई थी।
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि शंकररामन की बेटी समेत गवाह अदालत में आरोपियों की शिनाख्त करने में नाकाम रहे। उनमें से किसी ने अदालत में किसी आरोपी की शिनाख्त नहीं की और आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पेश किया जा सका।
जयेन्द्र सरस्वती को नवंबर 2004 में दिवाली के दिन आंध्रप्रदेश से गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसके कनिष्ठ विजयेन्द्र को भी गिरफ्तार किया गया। यह कांची मठ और उसके अनुयाइयों के लिए बड़ा झटका था। सुनवाई के दौरान, 2009 से ले कर 2012 तक 189 गवाहों से पूछताछ की गई थी। उनमें से 83 मुकर गए।
जब यह बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया जा रहा था तो अदालत कक्ष खचाखच भरा था। अदालत परिसर और उसके इर्दगिर्द सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। शंकररामन की हत्या 3 सितंबर 2004 को मंदिर में उसके कार्यालय कक्ष में किसी धारदार हथियार से की गई थी। उन्होंने दोनों शंकराचार्यों के खिलाफ वित्तीय हेरफेर के आरोप लगाए थे।
शिकायत दर्ज किए जाने के बाद विष्णुकांची पुलिस थाने की पुलिस ने जांच का जिम्मा उठाया और भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 34 के तहत एक मामला दर्ज किया गया। अदालती फैसले पर प्रतिक्रिया करते हुए शंकररामन के बेटे आनंद ने कहा कि फैसला ‘स्तब्धकारी और अविश्वसनीय’ है। उन्होंने जानना चाहा कि उनके पिता का कातिल कौन है। आनंद ने कहा कि परिवार फैसले का अध्ययन करेगा और अगला कदम तय करेगा कि फैसले के खिलाफ अपील की जाए या नहीं।
First Published: Wednesday, November 27, 2013, 09:27