Last Updated: Monday, March 10, 2014, 19:33
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केन्द्र सरकार से कहा कि खालिस्तानी आतंकी देविन्दरपाल सिंह भुल्लर की दया याचिका पर 27 मार्च तक निर्णय किया जाये अन्यथा वह उसकी मानसिक स्थिति के आधार पर मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने के सवाल पर निर्णय करेगा।
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष केन्द्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने कहा कि भुल्लर की दया याचिका का मसला अभी भी विचाराधीन है। इस पर न्यायालय ने भुल्लर की पत्नी की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।
न्यायाधीशों ने अटार्नी जनरल से कहा, ‘‘यदि आप हमें (निर्णय के बारे में) सूचित करेंगे तो बेहतर है अन्यथा हम मामले पर फैसला करेंगे।’’ न्यायालय ने कहा कि ऐसे कई मामलों में सरकार अपने विधि अधिकारियों की राय को गंभीरता से नहीं ले रही है। न्यायालय ने कहा कि पिछले सप्ताह ही एक अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ने केन्द्र को विस्तृत पत्र भेजा था लेकिन इसे सिरे से ही खारिज कर दिया गया।
न्यायाधीशों ने कहा कि इसके विवरण की जानकारी नहीं दी जा सकती। न्यायालय भुल्लर की पत्नी नवनीत कौर की सुधारात्मक याचिका की सुनवाई कर रहा था। नवनीत कौर अपने पति की मानसिक स्थिति और दया याचिका के निबटारे में विलंब के आधार पर उसकी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कराना चाहती है।
नवनीत कौर ने न्यायालय से इस निर्णय पर फिर से गौर करने का अनुरोध किया है जिसमें शीर्ष अदालत ने भुल्लर की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का अनुरोध ठुकरा दिया। दया याचिकाओं के निबटारे में विलंब के आधार पर मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने के शीर्ष अदालत के 21 जनवरी के फैसले के बाद नवनीत ने सुधारात्मक याचिका दायर की है। (एजेंसी)
First Published: Monday, March 10, 2014, 19:33