Last Updated: Monday, March 31, 2014, 11:21
ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली : 1993 के बम धमाकों के मामले में देविन्दर पाल सिंह भुल्लर की सजा सोमवार को उम्रकैद में बदल दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला करते हुए भुल्लर की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।
न्यायालय ने उसकी दया याचिका के निपटारे में हुई अत्यधिक देरी और उसकी मानसिक बीमारी के आधार पर यह बदलाव किया। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. सतशिवम, न्यायमूर्ति आर. एम. लोढ़ा, न्यायमूर्ति एच. एल. दात्तु और न्यायमूर्ति एस. जे. मुखोपाध्याय की पीठ ने भुल्लर के मृत्युदंड को उम्रकैद में तब्दील करते हुए न्यायालय के 21 जनवरी, 2014 के आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि दया याचिका के निपटारे में अधिक व अकारण देरी मृत्युदंड पाए कैदी के साथ अमानवीय व्यवहार है और इसलिए यह मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का आधार है।
चुनाव के मौसम में भुल्लर पर सरकार का सकारात्मक रुख और कोर्ट का यह फैसला दोनों ही अहम है। गौर हो कि पंजाब में अकाली दल समेत करीब सभी राजनीतिक दल भुल्लर की फांसी माफ करने की हिमायत कर चुके थे।
आतंकी भुल्लर को सितंबर, 1993 में यूथ कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष एमएस बिट्टा की कार पर बम विस्फोट करने के जुर्म में मौत की सजा सुनाई गई। उस हमले में नौ लोग मारे गए थे जबकि बिट्टा समेत 25 लोग घायल हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट से सजा-ए-मौत पर मुहर लगने के बाद राष्ट्रपति भी भुल्लर की दया याचिका खारिज़ कर चुके हैं।
इससे पहले, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बीते दिनों सूचित किया था कि खालिस्तानी आतंकी देविन्दरपाल सिंह भुल्लर की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने पर उसे ‘कोई परेशानी नहीं’ है और दया याचिकाओं के निबटारे में विलंब के आधार पर मौत की सजा उम्र कैद में तब्दील करने की शीर्ष अदालत की व्यवस्था के आलोक में उसकी याचिका मंजूर की जानी है। प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जिसमें अनुमति दी जायेगी क्योंकि दोषी की दया याचिका का निबटारा आठ साल के विलंब से किया गया था। न्यायाधीशों ने कहा कि इस मामले में 31 मार्च को संक्षिप्त आदेश सुनाया जाएगा।
जिक्र योग्य है कि न्यायालय ने 31 जनवरी को भुल्लर को फांसी देने पर रोक लगाते हुए अपने उस फैसले पर पुनर्विचार करने पर सहमति दे दी थी जिसके तहत 1993 के दिल्ली बम विस्फोट कांड में उसकी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने की अपील ठुकरा दी गई थी।
First Published: Monday, March 31, 2014, 10:31