नोटा विकल्प: दोबारा चुनाव की मांग वाली याचिका खारिज

नोटा विकल्प: दोबारा चुनाव की मांग वाली याचिका खारिज

नोटा विकल्प: दोबारा चुनाव की मांग वाली याचिका खारिज नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मतदान के दौरान बहुमत द्वारा उपर्युक्त में से कोई नहीं (नोटा) विकल्प चुने जाने की स्थिति में चुनाव आयोग को नए सिरे से चुनाव कराने का निर्देश देने से आज इनकार कर दिया ।

न्यायालय के निर्देश पर नोटा विकल्प हाल ही में लाया गया था, ताकि मतदाताओं को सभी उम्मीदवारों को खारिज करने का भी अधिकार मिल सके । प्रधान न्यायाधीश पी. सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कानून में संशोधन करना विधायिका का काम है और इस तरह का निर्देश पारित करना काफी जल्दबाजी वाला कदम होगा ।

पीठ ने कहा कि नोटा हाल ही में लागू किया गया है और यह देखना होगा कि लोग इसे लेकर किस तरह का जवाब देते हैं । न्यायालय ने जगन्नाथ जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया । याचिका में आग्रह किया गया था कि यदि बहुमत ईवीएम में नोटा विकल्प को चुनता है तो चुनाव आयोग को चुनाव परिणाम घोषित नहीं करने का निर्देश दिया जाये ।

शीर्ष अदालत ने 27 सितंबर को एक महत्वपूर्ण फैसला दिया था कि मतदाताओं को नोटा विकल्प का बटन दबाकर चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों को खारिज करने का अधिकार है । इसने कहा था कि इससे राजनीतिक दल ईमानदारी के लिए जाने जाने वाले ‘अच्छे’ उम्मीदवारों को चुनाव में उतारने के लिए बाध्य होंगे ।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि नकारात्मक मत की ‘अत्यंत आवश्यकता’ है जिससे चुनाव प्रक्रिया में ‘महत्वपूर्ण बदलाव’ आएगा क्योंकि ‘राजनीतिक दल लोगों की इच्छा को स्वीकार करने को बाध्य होंगे’ तथा वे बड़ी संख्या में लोगों द्वारा अपने उम्मीदवारों को खारिज किए जाने पर साफ छवि के उम्मीदवारों को मैदान में उतारेंगे।

फैसले में कहा गया था कि ईवीएम में नोटा बटन उपलब्ध कराए जाने से लोकतांत्रिक व्यवस्था के वर्तमान स्वरूप में राजनीतिक भागीदारी तेज होगी और असल में मतदाता सशक्त होंगे । (एजेंसी)


First Published: Monday, November 25, 2013, 13:58

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