पूर्वोत्तर के लोगों की सुरक्षा पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस

पूर्वोत्तर के लोगों की सुरक्षा पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस

पूर्वोत्तर के लोगों की सुरक्षा पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिसनई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने देश के विभिन्न हिस्सों में पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के साथ कथित रूप से नस्ली पक्षपात से उन्हें बचाने हेतु दिशानिर्देशों के लिये दायर जनहित याचिका पर केन्द्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किए। प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की दो सदस्यीय पीठ ने सभी पक्षकारों से चार सप्ताह के भीतर इस जनहित याचिका पर जवाब मांगा है।

शीर्ष अदालत शुरू में इस याचिका पर विचार करने के लिये अनिच्छुक थी क्योंकि इसी तरह की याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है। लेकिन याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि देश के विभिन्न हिस्सों में पूर्वोत्तर के लोगों के साथ नस्ली आधार पर पक्षपात होता है और इस मसले पर सिर्फ देश की सर्वोच्च अदालत ही गौर कर सकती है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी का कहना था कि उच्च न्यायालय में लंबित कार्यवाही सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी तक ही सीमित है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत को सारे मसले पर विचार करना चाहिए। ये जनहित याचिका पूर्वोत्तर के वकीलों सहित सात वकीलों ने दायर की है। इस याचिका में हाल ही के दिनों में पूर्वोत्तर के लोगों पर हमले की बढ़ती घटनाओं के साथ दक्षिण दिल्ली में दुकानदारों की पिटाई से अरुणाचल के युवक नीडो तानया की मौत की घटना का भी उल्लेख किया गया है।

याचिका में कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर के लोगों की सुरक्षा के लिये अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की है। याचिका के अनुसार पूर्वोत्तर के लोग शिक्षा और नौकरी के बेहतर अवसरों की तलाश में दूसरे राज्यों में जाते हैं लेकिन अपने ही देश के कई हिस्सों में वे नस्ली भेदभाव ओर हिंसा के शिकार होते हैं। (एजेंसी)

First Published: Friday, February 14, 2014, 18:22

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